National Emblem Controversy: संसद भवन पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न पर विवाद सही या गलत? एक्सपर्ट से जानिए सारे जवाब

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National Emblem Controversy: संसद भवन पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न पर विवाद सही या गलत? एक्सपर्ट से जानिए सारे जवाब

National Emblem Controversy: संसद भवन पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न पर विवाद सही या गलत? एक्सपर्ट से जानिए सारे जवाब

नई दिल्ली: संसद भवन की नई बिल्डिंग पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह (National Emblem) को लेकर विवाद मचा हुआ है। तमाम राजनीतिक दलों के नेता इसे राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह से अलग बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि ये सारनाथ और सांची के शेरों से ये शेर अलग हैं। अलग इस मामले में इन दोनों जगहों पर शेर काफी शांत मुद्रा में दिखते हैं। वहीं, सेंट्रल विस्टा की छत पर स्थापित किए गए शेरों की मुद्रा आक्रामक है। इस मामले में बीएचयू प्रोफेसर हीरालाल प्रजापति ने भी बयान दिया है।

फोटोग्राफी के कारण अलग सा प्रतीक हुआ होगा
बीएचयू के प्रोफेसर ने कहा कि कॉपी किए गए प्रतीक का आकार इतना विशाल है कि फोटोग्राफी दृष्टिकोण बदल रही है। आपको ऐसा लगता है कि यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह से अलग है जो सच नहीं है। यदि आप इसे आंखों के स्तर पर देखते हैं, तो आपको इसका बिल्कुल वैसा ही एहसास होगा। प्रोफेसर हीरालाल ने आगे कहा कि जब आप ताजमहल जाएंगे तो आपको ऐसे शिलालेख दिखाई देंगे जो देखने में बिल्कुल एक जैसे लग सकते हैं लेकिन वास्तव में दीवारों के ऊपर जाने पर आकार में वृद्धि होती जाती है। चीजों को कलाकार के नजरिए से देखा जाना चाहिए।

भारतीरय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व एडीजी का बयान
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व एडीजी बीआर मणि ने कहा कि मूल स्तंभ 7-8 फीट है जबकि संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक लगभग तीन गुना ऊंचा है। उन्होंने कहा कि 1905 के अशोक स्तंभ को संसद भवन के ऊपर स्थापित करने के लिए कॉपी किया गया है। मैं विपक्षी नेताओं के दावों को निराधार या निरर्थक नहीं कहूंगा, लेकिन इस पर राजनीतिक टिप्पणी करना सही नहीं है।” उन्होंने कहा कि जब 7-8 फीट अशोक स्तंभ पर बने शेरों की बात आती है और जब 20-21 फीट अशोक सिंह की बात आती है, तो कलाकार का कार्य कोण अलग होता है।

हालांकि, इसको लेकर विशेषज्ञों के मत अलग-अलग हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ये शेर सम्राट अशोक के शेरों की तर्ज पर ही दिखते हैं। दोनों शेरों में कोई खास अंतर नहीं है। इस मामले में विवाद तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के ट्वीट के बाद भड़का है। महुआ मोइत्रा ने ट्वीट के जरिए अशोक काल के शेरों से वर्तमान समय में बनाए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह से करते हुए तंज कसा है।

सम्राट अशोक ने अशोक स्तंभ का निर्माण कराया था। देश के कई स्थानों पर निर्माण कराया गया था। स्वतंत्र भारत के प्रतीक चिन्ह के रूप में अशोक स्तंभ को अपनाया गया। वाराणसी के सारनाथ संग्रहालय में रखे गए अशोक लाट को देश के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में 26 अगस्त 1950 को अपनाया गया। यह प्रतीक सरकारी लेटरहेड का हिस्सा है। साथ ही, यह देश की मुद्राओं पर भी दिखता है। भारतीय पासपोर्ट की भी पहचान अशोक स्तंभ से होती है। इस स्तंभ के नीचे स्थित अशोक चक्र भारतीय ध्वज के मध्य भाग में लगाया जाता है। यह प्रतीक चिन्ह देश में सम्राट अशोक की युद्ध और शांति की नीति को प्रदर्शित करता है।

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