आधार डेटा को लेकर चिंता और भी बढ़ गयी है. क्यूंकि आधार के जरीये धोखा- धड़ी कर लोगों के बैंक खातों से पैसे निकालने का ताजा मामला सामने आया है.
ग्राहकों की आधार संख्या उपयोग कर उनके बैंक खातों से धोखाधड़ी कर पैसे निकाले जाने की घटनाएं सामने आई हैं. संसद को बताया गया कि सूचना के मुताबिक करीब छह ऐसे मामलों में चार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने लगभग 1.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जानकारी दी थी. वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा, “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, कुछ बैंकों में ग्राहकों की आधार संख्या का उपयोग करते हुए धोखाधड़ी से बैंक खातों से पैसा निकाला गया था. जिसमें 1.37 करोड़ रुपये धोखे से निकाले गए, जबकि सिंडिकेट बैंक में 2.26 लाख रुपये धोखाधड़ी से निकालने के दो मामले सामने आए थे. उसके बारे में सरकार ने कहा कि इसमें बैंक कर्मियों का ही हाथ है. ऐसे मामलों को रोकने के लिए बैंक कदम उठा रहा है. इसके अलावा इलाहाबाद बैंक और यूको बैंक में 1.95 लाख रुपये और 0.49 लाख रुपये की घोखाधड़ी का एक-एक मामला दर्ज किया गया है.
आधार डेटा सुरक्षा से जुड़े नियम
आधार कार्ड के डेटा सुरक्षा को लेकर पहले भी काफ़ी विवाद हुये थे. किसी सर्विस के लिए अगर बार- बार आधार की जरुरत पड़ती है तो आधार की डेटा की गोपनीयता का खतरा हमेशा बना रहता है. आधार डाटा को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने आधार को लेकर एक नया नियम लागू किया था. आधार कार्यक्रम चलाने वाली यूआडीएआई (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने कहा कि अब वह वर्चुअल आधार आईडी लाने वाली है, जिसमें 16 अंकों के टेंपररी नंबर होंगे, जिसे लोग जब चाहे अपने आधार के बदले शेयर कर सकते हैं. इसका उद्देश्य आधार संख्या के लीक होने और दुरुपयोग के मामलों को कम करना है. वर्चुअल id का नियम मार्च तक लागू होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. अथॉरिटी के मुताबिक आधार की सुरक्षा के तहत अब तक देश के 119 करोड़ लोगों को आधार नंबर (बायोमैट्रिक आईडी) जारी किए जा चुके हैं. कोई भी इसे पहचान के तौर पर पेश कर सकता है. सुरक्षा को लेकर इतने नियम बनने पर भी आधार डेटा का विषय आज भी काफ़ी चिंता जनक है.
वहीं अब आधार डेटा सुरक्षा की तकनीक के खिलाफ फिर से सवाल उठाये जा रहे हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में आधार डेटा सुरक्षा की तकनीक को लेकर मंगलवार में सुनवाई हुई. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अगर किसी तकनीक का दुरुपयोग हो रहा है तो इसका मतलब ये नहीं किसी कानून को ही रद्द कर दिया जाए.