2014 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें लोगों से गंगा सफ़ाई का वादा किया था। उन्होंने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था की अगर उनकी सरकार बनती है तो वह गंगा को पूरी तरह से साफ़ कर देंगे। लेकिन चार साल तक केंद्र में सरकार चलाने के बाद भी मोदी सरकार गंगा सफ़ाई में पूरी तरह से फेल नज़र आई है।
अभी हाल में दिए इंटव्यू में प्रधानमंत्री मोदी नें कहा था कि उनकी सरकार नें गंगा सफ़ाई को लेकर बड़ा कद़म उठाया है। उन्होंने कहा की जो नाला पिछले 120 सालों से गंगा में गिर रहा था, हमनें उस नाले को बंद कर दिया है। जबकि पिछली सरकार नें गंगा सफ़ाई को लेकर कोई कद़म नहीं उठाया था।
लेकिन जब जांच की गई तो, जांच में पाया गया की गंगा सफ़ाई को लेकर मोदी सराकर के दाव में कोई सच्चाई नहीं है। अबी गंगा में प्रदूषण बढ़ा रहा है। गंदा पानी गंगा में अभी भी बह रहा है। न तो प्रशासन और न ही सरकार इस तरफ़ अपना ध्यान रख रही है। जांच में पाया गया कि केंद्र की मोदी सरकार की नमामि गंगे योजना यहां महज घोषणा बनकर रह गई है।
जिस गंगा को हम प्रणाम करते हैं उस गंगा में इस घाट पर कूड़ा कचरा और मवेशी घूमते नजर आए। पानी का रंग ऐसा कि कोई सोच भी नहीं सकता कि यह मोक्षदायनी गंगा का ही पानी है। निरंजन जैसे कई लोग इस घाट पर पूजा पाठ करने वालों को नियंत्रित करने का काम देखते हैं, उनका कहना है कि इस घाट पर मनाही के बावजूद भी कूड़ा कचरा और पूजा पाठ का सामान गंगा में प्रवाहित किया जाता है। निरंजन लोगों को मना करते हैं लेकिन पढ़े-लिखे लोग भी उनकी बातें पर ध्यान नहीं देते।
घाट से महज़ कुछ दूरी पर ही रसूलाबाद का नाला है. नाव पर सवार होकर हम उस नाले तक पहुंचे. रास्ते भर गंगा का पानी दूषित ही दिखता चला गया. जब हम रसूलाबाद के उस नाले की ओर बढ़े तो तस्वीर देखकर समझ आ गया कि आखिर हिंदुओं की आस्था का प्रतीक मानी जाने वाली गंगा नदी नाले की तरह क्यों दिखती है. खानापूर्ति के लिए नाले के ऊपर जाली लगाकर कूड़ा कचरा तो रोक दिया गाया, लेकिन सीवर और घरों से निकलने वाला गंदा पानी इस नाले के जरिए सीधे गंगा नदी में गिर रहा है. आसपास इतना कूड़ा कचरा और बदबू की सांस लेना भी मुश्किल हो जाए।