कश्मीर के लिए ये क्या बोल गए वित्तमंत्री, महबूबा मुफ्ती ने बर्खास्त किया

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भारत की राजनीति में जम्मू-कश्मीर से ज़्यादा विवादित सत्ता किसी राज्य की नहीं. यहाँ सरकार, आम आदमी और सेना तक के लिए बहुत सोच समझ कर मुह खोलना पड़ता है. पता नहीं कब किस बात का बतंगड़ बन जाए. लेकिन अच्छे-अच्छे समझदार भी धोखा खा जाते हैं. ऐसे ही एक ताज़ा मामले में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पार्टी लाइन के विपरीत बयान देने के आरोप में वित्तमंत्री को कैबिनेट से बर्खास्त करने का फैसला किया है. इस बाबत राजभवन को पत्र भेजे जाने की बात कही जा रही है. मामले के सामने आने के बाद सबसे पहले वित्तमंत्री को नोटिस देकर जवाब-तलब किया गया, फिर उनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई हुई है. इस घटना ने जम्मू-कश्मीर के सियासी गलियारे में सरगर्मी बढ़ा दी है. विपक्षी दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही. नेशनल कांफ्रेंस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हसीब द्राबू को अपने बयान की कीमत चुकानी पड़ी.

ये है विवाद  

गौरतलब है कि कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू की गिनती सत्ताधारी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के रसूखदार नेताओं में होती है. ऐसे में एक झटके में इस तरह की कार्रवाई को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं.

दरअसल नई दिल्ली में हसीब द्राबू एक बयान देकर पार्टी की आंख की किरकिरी बन गए हैं. उन्होंने कहा था कि ‘कश्मीर की समस्या राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि सामाजिक विषय है.’ इस बयान पर जम्मू-कश्मीर में घमासान मच गया. पार्टी ने इसे अपनी विचारधारा के विपरीत बयान मानते हुए वित्त मंत्री हसीब द्राबू को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया. उन्होंने जवाब दिया, मगर पार्टी संतुष्ट नहीं हुई.आखिरकार में पार्टी विरोधी बयानबाजी और अनुशासनहीनता के आरोप में महबूबा सरकार ने उन्हें अपने राज्य कैबिनेट में वित्तमंत्री पद से हटाने का फैसला किया है.

ऐसे हुई पूरी प्रक्रिया

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री महबूबा ने हसीब द्राबू की बर्खास्तगी के लिए राज्यपाल एन एन वोहरा को अपना पत्र भेजा है. हालांकि पार्टी ने फिलवक्त इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. पीडीपी के उपाध्यक्ष सरताज मदननी ने कहा कि पार्टी कश्मीर को राजनीतिक मुद्दा मानती है. पार्टी ने शुरुआत से लेकर अब तक कश्मीर समस्या का हल बातचीत के ज़रिए खोजने की वकालत की है. लिहाज़ा पार्टी नेताओं का इससे परे जाकर विचार व्यक्त करना अनुशासनहीनता है. कश्मीर पर बोलते समय नेताओं को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए.