तो क्या कट्टर विरोधी बनेंगे दोस्त?

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तो क्या कट्टर विरोधी बनेंगे दोस्त?
तो क्या कट्टर विरोधी बनेंगे दोस्त?

यूपी की राजनीति के दो माहिर खिलाड़ी क्या अब एक साथ आने के लिये तैयार हो रहे है? जी हाँ, हम बात कर रहे है, यूपी के दो विरोधी पार्टियों के अध्यक्ष की। सपा प्रमुख और बसपा प्रमुख क्या अब साथ आ सकते है। आपको बता दें कि अखिलेश और मायावती यूपी दोनों ही यूपी के सीएम रह चुके है। दोनों ही पार्टियां यूपी में अपनी सरकार बनाने के लिए एक दूसरे के विरोध में थी, लेकिन क्या अब यह पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती का हाथ बढ़ायेंगे, यह तो खैर वक्त ही बताएगा। आइये बात मुद्दे की करते है।

बिहार में मचे राजनीति घमासान के बाद राष्ट्रीय स्तर से जदयू का महागठबंधन से हटने के बाद एक फिर विपक्षीय पार्टियां अपनी ताकत आजमाने के लिए एकजुट होने का प्लान बना रही है। जी हाँ, राष्‍ट्रीय राजनीति में महागठबंधन के जेडीयू के छिटकने के बाद, बाकी विपक्षी दलों ने साथ आना शुरू कर दिया है। मजे की बात तो यह है कि कि उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में एक-दूसरे की विरोधी रहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी एक मंच पर आने को तैयार हैं। खबर के मुताबिक, बसपा के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल पर जारी किए गए एक पोस्‍टर में पार्टी सुप्रीमो मायावती के कट-आउट के साथ सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव भी नजर आ रहे हैं। साथ ही इस पोस्टर में यह भी लिखा गया था कि सामाजिक न्‍याय के समर्थन में विपक्ष एक हो।

आपको बता दें कि पोस्टर में अखिलेश के अलावा राजद नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्‍वी यादव, लालू यादव, शरद यादव, पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ ही गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी की तस्‍वीर लगाई गई थी। लेकिन जब मीडिया में इस पोस्‍टर की चर्चा शुरू हुई तो इसे हटा लिया गया। यह पोस्‍टर 27 अगस्‍त को पटना में राजद की ओर से बुलाई गई गैर-एनडीए दलों की रैली से एक सप्‍ताह पहले जारी किया गया है। खास बात यह है कि इसमें अखिलेश यादव भी हिस्‍सा लेंगे। फिलहाल, मायावती के जाने को लेकर अभी कयासों का दौर ही जारी हैं, लेकिन उनकी पार्टी के नेता जरूर वहां होंगे। आपको याद दिला दें कि मायावती ने पिछले महीने राज्य सभा से इस्‍तीफा दे दिया था। साथ ही मायावती गुजरात में 1 सितंबर को होने वाली कांग्रेस की रैली में हिस्‍सा लेने वाली हैं, जहां इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। साथ ही आपको यह बता दें कि मायावती ने रविवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए बीजेपी को ‘धन्‍नासेठों की पार्टी’ बताया था।

मामलें पर अगर गौर किया जाए तो सबसे बड़ा यह सवाल खड़ा होता है कि क्या यूपी की सबसे बड़ी विरोधी पार्टियां अब एक साथ मंच पर आयेंगे?