Mainpuri By Election: डिंपल को शाक्य प्रत्याशी ही दे पाएगा कड़ी टक्कर? मैनपुरी सीट को लेकर पशोपेश में BJP h3>
लखनऊ: मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में डिंपल यादव (SP Candidate Dimple Yadav) के सपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद भाजपा ने भी ‘जिताऊ’ चेहरे की तलाश शुरू कर दी है। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित भाजपा उपचुनाव में ही सपा के इस गढ़ पर काबिज होना चाहती है। अब पार्टी में यह मंथन हो रहा है कि जीत के लिए शाक्य चेहरे पर दांव लगाया जाए या फिर कोई नया दांव आजमाया जाए? इस पर कोई भी फैसला शनिवार को होने वाली भाजपा की कोर कमिटी की बैठक में होगा।
जीत के लिए हर रणनीति पर मंथन
भाजपा ने 2019 में हारी सीटों पर जीत के लिए पहले से रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। मैनपुरी में जीत के लिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया गया है। उन्होंने बीते अगस्त में मैनपुरी जाकर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर ‘फीडबैक’ लिया और सुझाव भी दिए। उन्होंने मैनपुरी के जातीय समीकरण और जीत की संभावित रणनीति को लेकर अपनी रिपोर्ट भी केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी। इसी बीच मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी सीट पर उपचुनाव घोषित हो जाने के बाद भाजपा ने अपनी तैयारी को और धार देनी शुरू कर दी है। गुरुवार को भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने भी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया। उन्हें बताया गया कि भाजपा अब यादवों के बीच भी काम कर रही है। जिले के संगठन में भी यादवों को जगह दी गई है। दो यादव ब्लॉक प्रमुख भी भाजपा के साथ हैं। इसके अलावा यादव बहुल बूथों पर भाजपा सरकार की योजनाओं से होने वाले लाभ को बताने का काम चल रहा है।
शाक्य या फिर कोई और
जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो मैनपुरी सीट पर सवा चार लाख यादव, पौने तीन लाख शाक्य-कुशवाहा, डेढ़ लाख क्षत्रिय हैं। मैनपुरी में विपक्ष की ओर से ज्यादातर गैर यादव ओबीसी चेहरे ही चुनाव मैदान में सामने आते रहे हैं। भले 1996 से यह सीट लगातार सपा के पास रही हो, लेकिन 1996 में मुलायम भाजपा से केवल 52 हजार वोटों से जीते। इसके बाद सपा यहां डेढ़ से दो लाख मतों के अंतर से जीतती रही। 2019 में मुलायम भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य से 92 हजार मतों से ही जीत पाए। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की पांच में से दो विस सीटों पर कब्जा कर लिया। मैनपुरी सदर और भोगांव सीट सपा हार गई। भाजपा इसी से उत्साहित है। सूत्रों का कहना है कि जिला संगठन की ओर से यह सुझाव दिया गया है कि शाक्य प्रत्याशी को ही डिंपल के सामने उतारना फायदेमंद रहेगा। इनमें कभी शिवपाल यादव के करीबी रहे और अब भाजपा में शामिल पूर्व सांसद रघुराज शाक्य या फिर पिछले लोकसभा चुनाव के चेहरे प्रेम सिंह शाक्य पर दांव लगाया जा सकता है। चूंकि शिवपाल की जसवंतनगर सीट भी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है तो रघुराज बेहतर विकल्प हो सकते हैं। एक सुझाव किसी बड़े क्षत्रिय चेहरे को लड़ाने का भी आया है, पर अभी इसे लेकर चर्चा सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही है। इसमें कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह का नाम चर्चा में है।
मैनपुरी में अब तक चुने गए सांसद
1952 बादशाह गुप्ता – कांग्रेस
1957 वंशीदास धनगर – प्रसोपा
1962 बादशाह गुप्ता – कांग्रेस
1967 महाराज सिंह – कांग्रेस
1971 महाराज सिंह – कांग्रेस
1977 रघुनाथ सिंह वर्मा – लोकदल
1980 रघुनाथ सिंह वर्मा – जनता पार्टी
1984 बलराम सिंह यादव – कांग्रेस
1989 उदयप्रताप सिंह यादव – जनता दल
1991 उदयप्रताप सिंह यादव – सजपा
1996 मुलायम सिंह यादव – सपा
1998 बलराम सिंह यादव – सपा
1999 बलराम सिंह यादव – सपा
2004 मुलायम सिंह यादव – सपा
2004 धर्मेंद्र यादव- उपचुनाव सपा
2009 मुलायम सिंह यादव – सपा
2014 मुलायम सिंह यादव – सपा
2014 तेजप्रताप यादव – उपचुनाव सपा
2019 मुलायम सिंह यादव – सपा
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भाजपा ने 2019 में हारी सीटों पर जीत के लिए पहले से रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। मैनपुरी में जीत के लिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया गया है। उन्होंने बीते अगस्त में मैनपुरी जाकर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर ‘फीडबैक’ लिया और सुझाव भी दिए। उन्होंने मैनपुरी के जातीय समीकरण और जीत की संभावित रणनीति को लेकर अपनी रिपोर्ट भी केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी। इसी बीच मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी सीट पर उपचुनाव घोषित हो जाने के बाद भाजपा ने अपनी तैयारी को और धार देनी शुरू कर दी है। गुरुवार को भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने भी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया। उन्हें बताया गया कि भाजपा अब यादवों के बीच भी काम कर रही है। जिले के संगठन में भी यादवों को जगह दी गई है। दो यादव ब्लॉक प्रमुख भी भाजपा के साथ हैं। इसके अलावा यादव बहुल बूथों पर भाजपा सरकार की योजनाओं से होने वाले लाभ को बताने का काम चल रहा है।
शाक्य या फिर कोई और
जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो मैनपुरी सीट पर सवा चार लाख यादव, पौने तीन लाख शाक्य-कुशवाहा, डेढ़ लाख क्षत्रिय हैं। मैनपुरी में विपक्ष की ओर से ज्यादातर गैर यादव ओबीसी चेहरे ही चुनाव मैदान में सामने आते रहे हैं। भले 1996 से यह सीट लगातार सपा के पास रही हो, लेकिन 1996 में मुलायम भाजपा से केवल 52 हजार वोटों से जीते। इसके बाद सपा यहां डेढ़ से दो लाख मतों के अंतर से जीतती रही। 2019 में मुलायम भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य से 92 हजार मतों से ही जीत पाए। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की पांच में से दो विस सीटों पर कब्जा कर लिया। मैनपुरी सदर और भोगांव सीट सपा हार गई। भाजपा इसी से उत्साहित है। सूत्रों का कहना है कि जिला संगठन की ओर से यह सुझाव दिया गया है कि शाक्य प्रत्याशी को ही डिंपल के सामने उतारना फायदेमंद रहेगा। इनमें कभी शिवपाल यादव के करीबी रहे और अब भाजपा में शामिल पूर्व सांसद रघुराज शाक्य या फिर पिछले लोकसभा चुनाव के चेहरे प्रेम सिंह शाक्य पर दांव लगाया जा सकता है। चूंकि शिवपाल की जसवंतनगर सीट भी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है तो रघुराज बेहतर विकल्प हो सकते हैं। एक सुझाव किसी बड़े क्षत्रिय चेहरे को लड़ाने का भी आया है, पर अभी इसे लेकर चर्चा सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही है। इसमें कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह का नाम चर्चा में है।
मैनपुरी में अब तक चुने गए सांसद
1952 बादशाह गुप्ता – कांग्रेस
1957 वंशीदास धनगर – प्रसोपा
1962 बादशाह गुप्ता – कांग्रेस
1967 महाराज सिंह – कांग्रेस
1971 महाराज सिंह – कांग्रेस
1977 रघुनाथ सिंह वर्मा – लोकदल
1980 रघुनाथ सिंह वर्मा – जनता पार्टी
1984 बलराम सिंह यादव – कांग्रेस
1989 उदयप्रताप सिंह यादव – जनता दल
1991 उदयप्रताप सिंह यादव – सजपा
1996 मुलायम सिंह यादव – सपा
1998 बलराम सिंह यादव – सपा
1999 बलराम सिंह यादव – सपा
2004 मुलायम सिंह यादव – सपा
2004 धर्मेंद्र यादव- उपचुनाव सपा
2009 मुलायम सिंह यादव – सपा
2014 मुलायम सिंह यादव – सपा
2014 तेजप्रताप यादव – उपचुनाव सपा
2019 मुलायम सिंह यादव – सपा
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