मध्य प्रदेश: कांग्रेस के पूर्व विधायक का बयान, पालतू कुत्ते होते है सरकारी कर्मचारी

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मध्य प्रदेश में राजनीती इतनी गरमा गई है की नेता भाषा कि मर्यादा भूलते जा रहे है. नेताओं के बिगड़े बोल थमने का नाम नहीं ले रहे है. प्रदेश में आये दिन नेता ऐसे बयान देते जा रहे है जो प्रदेश की जनता को उसके प्रति असवेंदनशिलता को दर्शाता है. पुरे साल भाषण देने वाले नेता अपनी ही जबान पर काबू नहीं रख पा रहे है. और एसा तो तब है जब प्रदेश के चुनाव में चार महीने बचे है. चुनाव नजदीक आते आते शायद जनता और भी बहुत कुछ अभी देख सकती है.

ताजा मामला जबलपुर के डिंडोरी का है

हाल ही में डिंडोरी के शहपुरा में जबलपुर के पूर्व विधायक और मध्य प्रदेश कांग्रेस  के महामंत्री नरेश सराफ ने सरकारी कर्मचारियों को पालतू कुत्ता कहा था, लेकिन अपने इस बयान पर खेद जताने और माफी मांगने के बयाज वह अपनी बात पर कायम हैं. यही नहीं पूर्व विधायक अपने बयान पर मजबूती दिखाते हुए अपने ही गलत बयान को सही ठहराने में लगे हुए हैं.

मांफी मांगने की बजाये किया अपने बयान का बचाव

दरअसल, डिंडोरी के शहपुरा एसडीएम कार्यालय ज्ञापन देने पहुंचे थे. तभी किसी बात पर नाराज नरेश सर्राफ ने कहा कि ‘सरकारी कर्मचारी’ पालतू कुत्ता होता है.’ जिसके बाद सराफ के इस बयान को लेकर प्रदेश भर के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की और उन्हें माफी मांगने की सलाह दी, लेकिन माफी मांगने के बजाय सराफ अपने ही बयान को सही साबित करने में लग गए और कहा कि “उन्होंने सरकारी कर्मचारी को कुत्ता इसलिये कहा था क्योंकि जैसे कुत्ता अपने मालिक के प्रति बहुत वफादार होता है वैसे ही सरकारी कर्मचारी प्रशासन के प्रति वफादार होते हैं.”

एसडीएम ने ज्ञापन लेने से मना किया तो कहा मंत्री का चमचा

दरअसल कुछ दिन पहले कांग्रेस के पूर्व विधायक एवं प्रदेश महामंत्री नरेश सराफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ शेह्पुरा एसडीएम कार्यालये  ज्ञापन देने पहुंचे थे, लेकिन वहां ज्ञापन लेने एसडीएम ने अपने बाबू को भेज दिया. बस इस बात पर नेता जी को इतना गुस्सा आया. वह भाषा की मर्यादा ना रखते हुए एसडीएम को खूब खरी खोटी सुनाने लग गए. जाते-जाते उन्होंने ने अधिकारी को मंत्री का चमचा तक कह डाला और यह बोल कर चले गये की अपने साहब को बता देना.