बोर्ड एग्जाम: उत्तर प्रदेश में सरकार की सख्ती से 6 लाख बच्चों ने नही दिया इम्तेहान

276

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोर्ड परीक्षा से लगभग 15 दिन पहले सभी अधिकारियों को सख्ती बरतने की हिदायत दी थी. मुख्यमंत्री ने कहा था कि कहीं भी कोई कमी दिखे तो उसपर तुरंत सख्त कार्यवाही की जाए. यहाँ तक कि संदेहस्पद सेंटर्स को परीक्षा से दूर रखा जाएगा. अब लग रहा है यूपी बोर्ड की परीक्षा में सरकार की तरफ से की जा रही सख्ती असर कर रही है.

चौंकाते हैं आंकड़े

राज्य सरकार ने यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा में नकल रोकने के लिए सभी परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए थे, जिसके बाद परीक्षा के 2 दिनों में 5 लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी थी. वहीं अब छात्रों की ये संख्या बढ़कर 6 लाख हो गई है. इतनी बड़ी तादाद में छात्रों का परीक्षा का छोड़कर जाना गंभीर चिंता का विषय है.

6 फरवरी से शुरू हुई बोर्ड परीक्षा में कुल 66 लाख से ज्यादा छात्र शामिल हो रहे हैं. इस बार 10वीं के 36,55,691 छात्र शामिल हैं और 12वीं के 29,81,327 छात्र शामिल हैं. परीक्षा छोड़ने में सबसे पहला नंबर हरदोई जिले के छात्रों का है. हरदोई के तकरीबन 31 हज़ार बच्चों ने इम्तेहान से दूरी कर ली है. वहीं दूसरे नंबर पर आजमगढ़ के छात्र हैं. ये भी बताया जा रहा है कि परीक्षा छोड़ने में 12वीं के छात्रों की तादाद सबसे ज़्यादा है.

ये है मुख्य कारण

ऐसा माना जा रहा है कि परीक्षा केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगने की वजह से नक़लची बच्चों के दिल में डर बैठ गया है और उन्होंने पकड़े जाने से बेहतर परीक्षा छोड़ना समझा. वहीं नकल रोकने के लिए 22 टीमें गठित की गई हैं. इसके अलावा 8 जेलों में भी करीब 200 से ज्यादा कैदी भी यूपी बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं. बोर्ड परीक्षा के लिए 8549 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं.

दूसरी तरफ बोर्ड परीक्षा शुरू होने से पहले सरकार ने कड़ा निर्देश दिया था कि जो भी परीक्षा केंद्र सामूहिक नकल करते पाया जाएगा वहां के प्रधानाचार्य और स्कूल प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाएगा. बता दें कि प्रदेश के 50 संवेदनशील जिलों में कोडेड कॉपी पर परीक्षा कराई जा रही है. सभी संवेदनशील और अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर प्रशासन की पैनी नज़र है. ऐसे केंद्रों की निगरानी के लिये स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की मदद ली जा रही है.

11 9 yogi ji 1 -

बिज़नेस है नक़ल का ज़ोखिम

जानकारी के लिए बता दें कि यूपी और बिहार बोर्ड परीक्षा में नकल करवाना बिज़नेस माना जाता है. नकल माफिया बच्चों से नकल करवाने के लिए पैसे हड़पते हैं. इन नकल माफियाओं में स्कूल का प्रशासन और अन्य लोग शामिल होते हैं. ऐसे में परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगने के बाद नकल माफियाओं पर नकेल कस दी गयी है.

कहा जा रहा है कि नक़ल के मुद्दे पर विधानसभा में भी बात हो सकती है. सरकार देश में एजुकेशन सिस्टम को लेकर आए दिन नई योजनाएं पेश कर रही हैं ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. लेकिन यूपी बोर्ड के इस साल के आंकड़ों ने सरकार और प्रशासन की आँखें खोल कर रख दी है. अगर इतने प्राथमिक स्तर पर ही बच्चों का ये हाल है तो वो आगे कैसे उच्च शिक्षा का सामना करेंगे.