आम आदमी पार्टी (आप) के दिग्गज नेता और कवि कुमार विश्वास ने खुद को अपनी ही पार्टी का लाल कृष्ण आडवाणी घोषित कर दिया है. दरअसल कुमार विश्वास उत्तरप्रदेश के इटावा में एक स्कूल द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में गए थे. इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बात कही. उन्होंने खुद को ‘आप’ का आडवानी कहा ही, बल्कि अपने साथ-साथ समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव को भी सपा का आडवाणी करार दिया.
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की बात
हाल ही में दिल्ली में राज्य सभा की तीन सीटों पर हुए चुनावों में कुमार विश्वास को ना भेजे जाने का दर्द उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था. पिछले कुछ दिनों में कुमार लगातार पार्टी आलाकमान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अपनी कविताओं से निशाना साधते रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने इटावा में भी अपनी कविताओं के ज़रिये दिल के दर्द को बयान किया. उनकी दर्द भरी कविताओं से उन्हें आराम मिला और वहां मौजूद लोगों का मनोरंजन हुआ. गौरतलब है कि लाल कृष्ण आडवाणी भी अब भाजपा में हाशिए पर चल रहे हैं, इसलिए कुमार विश्वास ने अपनी और शिवपाल की तुलना उनसे की है.
शिवपाल के जन्मदिन पर हुआ कविसम्मेलन
बता दें कि स्कूल ने इस कवि सम्मलेन का आयोजन शिवपाल सिंह यादव के जन्मदिन के अवसर पर किया था. कुमार ने इससे पहले सोमवार को लखनऊ में भी पने अंदाज में शिवपाल सिंह के प्रति सहानुभूति जताई थी.
दरअसल जिस तरह कुमार विश्वास को बाहरी लोगो की वजह से राज्यसभा का टिकेट नही मिला वैसे जब से अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की कमान अपने हाथों में ली है, तब से शिवपाल सिंह यादव का कद पार्टी में घट गया है. काफी लम्बे समय से वो पार्टी में हाशिए पर चल रहे हैं. पिछली साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक विशेष अधिवेशन बुलाकर शिवपाल सिंह को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. इसके साथ ही अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर काबिज हो गए थे. तब से अखिलेश और शिवपाल के बीच दूरियां बढ़ती गईं. हालांकि राजनैतिक अनबन को दरकिनार करते हुए सोमवार को अखिलेश ने चाचा शिवपाल को जन्मदिन की बधाई दी थी.
शिवपाल जैसा है विश्वास का हाल
दूसरी तरफ दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी आप में भी कुमार विश्वास की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है. वो पार्टी में हाशिए पर जाते दिख रहे हैं. फिलहाल वो राजस्थान के प्रभारी बने हुए हैं, जहां इस साल के आखिर में विधान सभा चुनाव होने हैं. कुमार ने राज्य सभा जाने के लिए भी काफी मेहनत की, एड़ी-चोटी काज और लगाने के बाद भी पार्टी ने उनकी जगह दूसरों को तवज्जो दी. इसके बाद उन्हें जहां मौक़ा मिलता है वो अपनी कविताओं के ज़रिए ही आप नेताओं पर तंज कसते नज़र आते हैं. इटावा में भी उन्होंने ऎसी ही कविता पढ़ी जिसके बोल इस प्रकार हैं-
पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तौलो,
ये संबंधों की तुरपाई है षडयंत्रों से मत खोलो,
मेरे लहजे की छैनी से गढ़े कुछ देवता जो कल मेरे लफ्जों पे मरते थे,
वो अब कहते हैं मत बोलो।