युद्ध एक ऐसा शब्द है, जिसका नाम आते ही सभी के मुस्कुराते चेहरे गम में तब्दील हो जाते है। आज हम बात कर रहे है, कारगिल युद्ध की। एक ऐसा युद्ध, जिसे शायद कोई भूला पाया हो। आज से ठीक 18 साल पहले इस युद्ध में भारतीय सेना ने जीत हासिल की थी। भारतीय सेना के इस जीत को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाये जाने का ऐलान किया था। जी हाँ, 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। यह जीत इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में वर्णित रहेगा।
यह जीत इतनी आसान नहीं थी, बहुत कुछ खोया था, इस जीत को हासिल करने में। आज सिर्फ ये कहानी बनकर रह गई है लेकिन जरा 18 साल पीछे जाईये और कल्पना कीजिए की उस समय देश के हालात क्या रहे होंगे। आपको बता दें कि इस युद्ध में विजय पाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मध्य प्रदेश के दतिया में पीताम्बरा पीठ की मां बगलामुखी के मंदिर में विशेष यज्ञ करवाया था। दरअसल, दतिया की मां बगलामुखी को शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। कहा यह भी जाता है कि जब-जब देश पर युद्ध की विपत्ति आई है, तब-तब यहां पर विशेष यज्ञ करवाया गया। फिर चाहे वो 1962 में चीन का आक्रमण हो, या फिर 1965 और 1971 में भारत पर पाकिस्तान का हमला या फिर कारगिल युद्ध, इन सभी युद्धों के दौरान मां बगलामुखी के मंदिर में विजय प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया गया था।
क्यों, कब और कैसे हुआ था कारगिल युद्ध
कारगिल युद्ध की कहानी ज्यादा पुरानी नहीं है, सिर्फ 18 साल ही हुए है इस युद्ध के। कारगिल युद्ध उस समय हुआ, जब भारत सरकार पाकिस्तान से रिश्ते अच्छे और मजबूत करने की सोच में था, लेकिन पाकिस्तान के आंतकी संगठन को यह रास नहीं आया। पाकिस्तान का मशहूर आतंकी संगठनों ने साजिशों के पुल बांधने लगे। इसकी जानकारी भारतीय सेना को 3 मई,1999 को एक बकरी चराने वाले ने दी। इसके बाद जब भारतीय सेना पेट्रोलिंग करने के लिए गई तो पाकिस्तान के आंतकियों ने उन्हें पकड़ लिया, साथ ही पांच जवानों की निर्मम हत्या कर दी। इस तरह से धीरे-धीरे युद्ध अपने चरम पर पहुंचने लगा। 26 मई, 1999 को भारतीय वायु सेना को कार्यवाही करने के आदेश दिये गये। इस तरह से युद्ध में भारीभरकम नुकसान भी हुआ था। 2 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल पर तीनों ओर से हमला कर रही थी। 4 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर फिर से कब्जा जमा लिया। कब्जें की खबर सुनकर पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कारगिल से अपने सेना को हटाने के आदेश दे दिये। 14 जुलाई, 1999 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कारगिल विजय ऑपरेशन का ऐलान कर दिया था। साथ ही उन्होंने 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाये जाने का ऐलान भी कर दिया।
कारगिल युद्ध में भारत के कई जवान शहीद हुए थे। आजादी के समय भी भारत अपने कई वीर सपूतों को खोया था, वहीं हाल आजादी के बाद हुए दुश्मनों के हमलों में भी भारत ने अनेक सपूतों को खोया है। जिनमें कुछ के नाम याद रहें तो कुछ गुमनाम हो गये। आज कारगिल विजय दिवस के मौके पर हमें उन वीरों को याद करना चाहिए, जो लौट के कभी घर न आ पाएं। साथ ही हमें भारतीय सेना को सलाम करना चाहिए, जिन्होंने समय-समय पर देश की रक्षा करने के लिए अपने प्राण खुशी-खुशी न्योछावर करने के लिए तत्पर रहते है।