Kanpur Crime: सुरेश की आंखों में नहीं बची रौशनी, यातना देकर भिखारी बनाने वालों को पकड़ने पुलिस दिल्ली रवाना

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Kanpur Crime: सुरेश की आंखों में नहीं बची रौशनी, यातना देकर भिखारी बनाने वालों को पकड़ने पुलिस दिल्ली रवाना

Kanpur Crime: सुरेश की आंखों में नहीं बची रौशनी, यातना देकर भिखारी बनाने वालों को पकड़ने पुलिस दिल्ली रवाना

कानपुर: भीख मंगवाने के नाम पर हाथ-पैरों के पंजे तोड़ देने और केमिकल डाल आंखें खराब करने के मामले में पीड़ित सुरेश मांझी (kanpur beggar) का शुक्रवार को मेडिकल परीक्षण हुआ। एलएलआर अस्पताल की जांच में सुरेश की आंखों में विजन नहीं मिला। बाकी परीक्षण दूसरे अस्पताल में होगा। वहीं पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड के अनुसार, एक आरोपित की तलाश में पुलिस (kanpur police) टीम दिल्ली गई है। जांच एसीपी कर रहे हैं। वहीं गंभीर स्थिति में सुरेश को कांशीराम ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। शुरुआती परीक्षण में चोटें पुरानी मिली हैं। ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों के मुताबिक, केमिकल डाल आंखें जला दी गई हैं। पैर की चोटों की मरहम-पट्टी हो गई है।

मूलरूप से बिहार निवासी सुरेश मांझी (30) पिछले कई साल से कानपुर के यशोदा नगर कच्ची बस्ती में रहता है। दिहाड़ी मजदूर सुरेश का आरोप है कि करीब 6 महीने पहले काम दिलाने के बहाने विजय नाम का व्यक्ति उसे अपने साथ अपने घर नौबस्ता ले गया, जहां मारपीट कर उसके हाथ-पैरों के पंजे तोड़ दिए। 12 दिनों तक वहां कैद रखने के बाद आंखों में कोई केमिकल डाल दिया। इससे उसे दिखना बंद हो गया। शरीर को कई जगह जलाया और चापड़ मारकर दाढ़ काट दी। यहां से उसे झकरकटी पुल के नीचे रखकर किसी महिला को बेच दिया गया।

सुरेश का आरोप है कि महिला ने उसे जहरीले इंजेक्शन लगाए। फिर उसे राज नाम के व्यक्ति को 70 हजार रुपये में बेच दिया गया। गोरखधाम एक्सप्रेस से दिल्ली ले जाने के बाद वहां उससे भीख मंगवाई जाती थी। खाने को सिर्फ एक रोटी दी जाती थी। लगातार इंजेक्शन देने के कारण उसके शरीर में संक्रमण फैलने लगा। इस वजह से उसे वापस कानपुर सेंट्रल पर छोड़ दिया गया। तैयारी दूसरी जगह बेचने की थी। कानपुर में उसे किदवई नगर में जहरीले इंजेक्शन दिए गए। गुरुवार को एक साथी मजदूर ने उसे पहचाना और परिवार को सूचना दी। इसके बाद परिवार के लोग उसे आकर ले गए।

पार्षद ने लिखवाई रिपोर्ट
पार्षद प्रशांत शुक्ला ने गुरुवार को नौबस्ता थाने पर शोरशराबा कर दिया। उनकी शिकायत पर पुलिस ने विजय और राज समेत तीन के खिलाफ एफआईआर की। सुरेश से मिले एक मोबाइल नंबर के आधार पर पुलिस टीम दिल्ली गई है। शुक्रवार को जांच में सुरेश की आंखों में विजन नहीं मिला। शाम को गंभीर हालत में उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

इस सवाल का जवाब नहीं
पुलिस जांच के बीच एक सवाल का जवाब नहीं मिला है। सुरेश छह महीने से लापता था, लेकिन उसके भाई और परिवार के लोगों ने पुलिस को कोई सूचना नहीं दी। नौबस्ता एसएचओ संजय पांडेय ने बताया कि गुमशुदगी की कोई शिकायत नहीं मिली थी।

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