राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है। अंदर-बाहर कब, क्या बदल जाए कुछ भी पता नहीं चलता। राजनीति में समर्थन का बहुत महत्व है। चाहे वो अंदर से हो या बाहर से। हां बात की कोई कीमत नहीं होती। कहावत है, ‘जहां देखा पूरी वहीं गए घूरी (घूमना)।’ अपने सहुलियत से काम करना होता है, सिद्धांतों और वसूलों में दिमाग क्या खपाना, इस नीति पर चलकर लोग सफलता की सीढ़ी चढ़ते जाते हैं। जो सिद्धांतों और वसूलों के पीछे भागते हैं, पड़े रहते हैं किसी कोने में।
बात गुजरात की चारो तरफ चल रही है तो युवा नेता जिग्नेश मेवानी ने कल यानि गुरूवार को जिग्नेश ने कहा था कि वो किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। लेकिन आज यानि शुक्रवार को ये खबर है कि जिग्नेश मेवानी राहुल गांधी से मिलने जा रहे हैं। जिग्नेश मेवानी का कहना है कि अगर कांग्रेस उनकी बात मान लेती है तो वो बाहर से कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार हैं।
दलितों के साथ राजनीतिक भेदभाव
दरअसल राहुल गांधी दक्षिण गुजरात के दौरे पर हैं, ऐसे में जिग्नेश ने कहा था कि बीजेपी पाटीदारों को कई बार बातचीत के लिए बुला चुकी है, लेकिन दलितों के साथ राजनीतिक छुआछूत की भावना रखी जा रही है क्योंकि दलितों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया गया।
कांग्रेस के सामने रखी दलितों की मांग
जिग्नेश ने बताया कि कांग्रेस की ओर से भी उन्हें अब तक बातचीत के लिए नहीं बुलाया गया था, लेकिन दलितों की 17 मांगें कांग्रेस के समक्ष रखी जा चुकी हैं। राहुल गांधी ने जिग्नेश मेवाणी को बातचीत के लिए बुलाया है।
कांग्रेस को दे सकते हैं बाहर से समर्थन
जिग्नेश और राहुल की मुलाकात कांग्रेस के रोड शो के दौरान नवसारी में होगी। दलितों के नेता जिग्नेश मेवाणी का साफ कहना है कि वे किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं होंगे, लेकिन अगर कांग्रेस ने उनकी बात मान ली, तो वे कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे सकते हैं।