अब जम्मू कश्मीर में आतंकियों का सफाया होगा शुरु, सेना को मिलने जा रही है एक बड़ी ताकत

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नई दिल्ली: रमज़ान के वक्त जम्मू-कश्मीर में सीजफायर का ऐलान किया गया था, जिस कारण आतंकियों ने अपने नापाक हरकतों को खूब अंजाम दिया था. आए दिन सेना पर हमले करने की खबरे आती थी. अब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को खात्मा करने को लेकर सक्रिय भूमिका निभाने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) कमांडोज के एक दस्ते को घाटी में तैनात किया जाएगा.

इस अभियान के तहत नेशनल सिक्योरिटी कमांडोज आतंकवाद का सफाया करने के लिए राज्य की पुलिस और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) को खासतौर पर ट्रेनिंग देंगे. जानकारी के अनुसार, नेशनल सिक्योरिटी कमांडोज को राजधानी श्रीनगर में स्थित भारतीय सीमा सुरक्षा (बीएसएफ) के बेस कैंप के साथ कुछ अन्य जगहों पर तैनात किया जाएगा. बता दें कि एनएसजी को जम्मू कश्मीर में आतंकियों को साफ करने की योजना पिछले साल बनाई गई थी.

एनएसजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘टीओआई’ को कहा है कि जब फ़ोर्स को वह भेजा जा रहा है तो कश्मीर प्रशासन, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ आतंकवाद से निपटने के लिए नए तौर-तरीके और तकनीकों पर चर्चा भी की जाएगी. वहां पहुंचने से पहले एनएसजी कमांडोज के लिए उचित बंदोबस्त किया जाएंगे. इससे पहले भी एनएसजी के कमांडोज कश्मीर में 1990 के दशक में आतंकवाद का निपटारा करने के अभियान के लिए आ चुके है. पर अब उन्होंने राज्य में आतंकरोधी अभियानों के लिए स्थायी रूप से पहली बार तैनात किया जा रहा है. इन्हें यह पर हाउस इंटरवेंशन और एंटी हाईजैकिंग संबंधी आपरशेंस के लिए लाया गया है.

अत्याधुनिक हथियारों से लैस

इस मिशन में आए इन कमांडोज के पास हथियारों की काफी अत्याधुनिक तकनीके होगी. इनके पास अत्याधुनिक हैकलर, कोच एमपी-5 सब मशीनगन, स्नाइपर राइफल और दीवार के आरपार देखने वाले राडार और सी-4 विस्फोटों से लैस होंगे.

बता दें कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में एनएसजी की तैनाती को मंजूरी तब दी है जिसके ठीक पहले यहां पीडीपी की महबूबा मुफ्ती की सरकार गिरी है. जिसके वजह से राज्य में  अस्थिरता का वातावरण बना हुआ है. वहीं 29 जून से अमरनाथ यात्रा का आरंभ होगा. इस यात्रा पर आतंकवादी संगठन की नजर गाड़ी पड़ी है. इसलिए गृह मंत्रालय ने इसी स्थिति से निपटने के लिए कश्मीर में ब्लैक कैट कमांडो को तैनात कर हरी झंडी दी है. इस यात्रा में कई अहम जगहों पर ड्रोन कैमरे से निगरानी भी रखी जाएगी.

एनएसजी का गठन साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद किया गया था. इस वक्त एनएसजी में 7500 अधिकारी और जवान मौजूद है.