जीएसटी पर बिगड़ती बात को लेकर मोदी सरकार खौफ में है?

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पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी को लेकर लगातार हमले झेल रही मोदी सरकार में खौफ का माहौल है, 2 महीने बाद कई राज्यों में चुनाव हैं और सरकार को डर है कि कहीं बात बिगड़ ना जाए। नोटबंदी से तमाम दिक्कतों के बावजूद लोगों का विश्वास सरकार पर बना रहा, लेकिन इससे छोटे व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, कईयों के तो व्यापार तक खत्म हो गए। वहीं रही सही कसर जीएसीटी ने पूरी कर दी। छोटे व्यापारी असमंजस की स्थिति में हैं। छोटे व्यापारियों का धंधा ठप होने के कगार पर है। लोगों का व्यापार बंद हुआ तो हजारों लाखों लोगों की नौकरी चली गई। आमदनी है नहीं आम लोगों को नुकसान हुआ तो मोदी के लिए नारे लगाने वाले लोग ही उनके खिलाफ होने लगे। दरअसल यही मोदी और बीजेपी की चिंता का विषय है।

आज जीएसटी काउंसिल की बैठक हो रही है और प्रधानमंत्री के 4 अक्टूबर के भाषण के मुताबिक छोटे व्यापारियों को इससे बड़ी राहत मिल सकती है, क्योंकि सरकार को जीएसटी लागू होने के 3 महिने बाद ये पता चल गया है कि छोटे व्यापारी काफी रोष में हैं और इसका खामियाजा गुजरात या हिमाचल प्रदेश में चुनाव के वक्त भुगतना पड़ सकता है।

पहला मौका जब मोदी हैं बैक फुट पर

आर्थिक मंदी पर चौतरफा हमले के बाद और जमीनी स्तर नोटबंदी और जीएसटी से आमलोगों का जीवन प्रभावित होने के कारण मोदी ने जीएसटी में सुधार का जो फैसला लिया है, वो वाकई प्रधानमंत्री मोदी जैसे दृढ़ संकल्प नेता के लिए बैकफुट पर जाने की बात है क्योंकि मोदी की छवि के मुताबिक वो अपने फैसले पर हमेशा अटल रहते हैं। यही नहीं बेहद ही कड़े और बड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इस बार मोदी अपने बिगड़ते जनाधार को संभालने के लिए अपने फैसले में सुधान के प्रतिबद्ध ही नहीं बल्कि मजबूर भी हैं।

जीएसटी में सुधार से जुड़ी 9 खास बातें

  1. छोटे व्यापारियों को राहत: बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में छोटे व्यापारियों को राहत पुहंचाया जाए। सुशील ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था के तहत छोटे करदाताओं को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  2. जीएसटी व्यवस्था के तहत छोटे-बड़े सभी व्यापारियों को प्रति माह विवरणी दाखिल करनी पड़ती है। अत: जिन व्यापारियों का टर्न ओवर 1.5 करोड़ रूपये तक है, उन्हें मासिक के बजाय त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने की सुविधा दी जाये।
  3. रिवर्स चेन्ज मेकेनिज्म की व्यवस्था को फिलहाल स्थगित रखा जाये तथा कम्पाउंडिंग स्कीम के तहत 75 लाख रूपये की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रूपये किया जाये।
  4. पहले अधिकांश राज्यों में वैट व्यवस्था के अंतर्गत त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने का प्रावधान था, पर वर्तमान व्यवस्था में छोटे एवं बड़े सभी करदाताओं को प्रतिमाह विवरणी दाखिल करनी पड़ती है, जिससे छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई हो रही है।
  5. वर्तमान में रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म की व्यवस्था के तहत निबंधित करदाताओं को अनिबंधित आपूर्तिकर्ता से माल खरीदने पर कर भुगतान करना पड़ता है। जिसके कारण छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई होती है इसलिए फिलहाल रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को स्थगित रखी जाए।
  6. कम्पाउंडिंग स्कीम के अन्तर्गत जिन व्यापारियों का टर्न ओवर 75 लाख रूपये तक का है, उन्हें कुल बिक्री पर 1 फीसदी कर देना पड़ता है। छोटे व्यापारियों के लिये यह सीमा कम है इसलिए इस सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रूपये तक की जाये ताकि उन्हें राहत मिल सके।
  7. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर :जीएसटी: के मुद्दे को कुरेदते हुए कहा है कि नोटबंदी सबसे बड़ी आपदा रही तो नयी कर व्यवस्था एक बड़े करतब की तरह है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल में लिखा, इसने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है।
  8. इससे पहले बनर्जी ने जीएसटी लागू किये जाने को केन्द्र सरकार की नोटबंदी के बाद की एक और ऐतिहासिक भूल करार दिया था। उन्होंने जीएसटी को जल्दी में लाये जाने का दावा करते हुए मांग की कि नयी कर व्यवस्था के मामले में जांच होनी चाहिये।
  9. ममता ने कहा था कि सरकार ने बगैर उपयुक्त योजना बनाये इसे जल्दबाजी में शुरु किया है। सभी आम लोग और सारे व्यापारी इसके घोर भुक्तभोगी हैं। लिहाजा सरकार को इस जल्दबाजी की गहन जांच करने की जरूरत है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कारोबारियों को जीएसटी की राह आसान करने के लिए तेलुगु भाषा में जीएसटी एप लांच किया है। इस एप के जरिए एंड्रायड उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगने वाली जीएसटी दर को तेलुगु में जाना जा सकेगा। किसी रीजनल भाषा में यह जीएसटी एप का पहला संस्करण है।

गौरतलब है कि जीएसटी को सामान्य होने में कम से कम छह महीने से एक साल का समय लगेगा। जीएसटी के सफल क्रियान्वयन के साथ ही भारत बड़ी आर्थिक शक्तियों के समूह में शामिल हो जाएगा और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा। लिहाजा, केन्द्र सरकार जल्द से जल्द जीएसटी कानून में सुधार कर इसे वन नेशन वन टैक्स के लिए पूरी तरह से तैयार करने जा रही है।