हरियाणा में government द्वारा मान्यता प्राप्त कितनी एजेंसियां हैं जो किसानों का अनाज खरीदती हैं ?

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किसान
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केंद्र सरकार की तरफ से कृषि से संबंधित तीन कानून बनाए गए हैं. जिनकों लेकर बड़े स्तर पर किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. हरियाणा के किसान भी इस आंदोलन में भाग ले रहे हैं. इन कानूनों में एक कानून है कि किसान अब अपनी फसल को कहीं भी बेच सकता है. अभी तक कानून था कि किसान अपनी फसलों को मंडियों में ही बेच सकता था. जिसमें फसल के मूल्य के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर रखा है.

हरियाणा में मंडिया

हरियाणा में भी किसान अपनी फसल इन कानूनों से पहले सिर्फ मंडियों में ही बेच सकता था. इन मंडियों में फसल खरीदनें के लिए सरकार की भी कुछ ऐजेंसियां होती है. जो किसानों से फसल खरीदती हैं. कुछ बिचौलिये भी होते हैं. जिनकों आढती कहते हैं. मंडियों में आढ़ती बनने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है. कुछ फसलों की खरीद मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत की जाती है. जैसे दलहन, तिलहन.  जिसका दायित्व कृषि मंत्रालय उठाता है. इन जिंसों की खरीद सरकारी एजेंसी नैफेड करती है. जबकि धान और अन्य अनाज की खरीद भारतीय खाद्य निगम (FCI) करता है.

FCI

सरकारी एजेंसी नैफेड और खरीद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अलावा मंडियों में आढती भी किसानों की फसल की खरीददारी करते हैं. जिसको सरकार से लाइसेंस लेना होता है. लेकिन अभी जो सरकार ने कानून बनाए हैं, इस कानून के अनुसार किसान अब अपनी फसल को मंडियों के बाहर किसी भी व्यक्ति को बेच सकते हैं.

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किसानों का इस पर आरोप है कि सरकार इस कानून के आधार पर मंडियों को खत्म करना चाहती है. अगर ऐसा हुआ तो उनकों उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा. जिसके कारण पहले से भी बुरे हालातों पर जीनें को मजबूर किसानों की हालात और भी खराब हो जाएगी.