MQ-1 Predator: कितना खतरनाक है अमेरिका का MQ-1 प्रीडेटर ड्रोन? जिसे खरीदने जा रही भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे के बीच एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन की 30 यूनिट खरीदने का मन बना रही है। घातक मिसाइलों से लैस ये ड्रोन लंबे समय तक समुद्र में निगरानी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जरुरत पड़ने पर इसमें लगी मिसाइलें दुश्मनों के जहाजों या ठिकानों को निशाना भी बना सकती हैं। इस ड्रोन को प्रीडेटर सी एवेंजर या आरक्यू-1 के नाम से भी जाना जाता है। चीन के विंग लॉन्ग ड्रोन-2 के हमला करने की ताकत को देखते हुए नौसेना को ऐसे खतरनाक ड्रोन की काफी जरूरत महसूस हो रही है।
टॉरगेट पर सटीक निशाना लगाने में है माहिर
प्रीडेटर सी एवेंजर में टर्बोफैन इंजिन और स्टील्थ एयरक्राफ्ट के तमाम फीचर हैं। ये अपने टॉरगेट पर सटीक निशाना लगाता है। भारतीय सेना अभी इजराइल से खरीदे गए ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन फाइटर जेट की रफ्तार से उड़ते हैं। इन ड्रोन्स के मिलने के बाद भारत न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन पर भी आसानी से नजर रख सकेगा। सर्विलांस सिस्टम के मामले में भारत इन दोनों देशों से काफी आगे निकल जाएगा।
3000 किमी तक भर सकता है उड़ान
नया प्रीडेटर अपने बेस से उड़ान भरने के बाद 1800 मील (2,900 किलोमीटर) उड़ सकता है। मतलब अगर उसे मध्य भारत के किसी एयरबेस से ऑपरेट किया जाए तो वह जम्मू-कश्मीर में चीन और पाकिस्तान की सीमा तक निगहबानी कर सकता है। यह ड्रोन 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 35 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसके अलावा यह ड्रोन 6500 पाउंड का पेलोड लेकर उड़ सकता है।
हवा में 35 घंटे तक मंडराने में है सक्षम
इस ड्रोन को अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स ने बनाया है। इस ड्रोन में 115 हॉर्सपावर की ताकत प्रदान करने वाला टर्बोफैन इंजन लगा हुआ है। 8.22 मीटर लंबे और 2.1 मीटर ऊंचे इस ड्रोन के पंखों की चौड़ाई 16.8 मीटर है। 100 गैलन तक की फ्यूल कैपिसिटी होने के कारण इस ड्रोन का फ्लाइट इंड्यूरेंस भी काफी ज्यादा है।
दो मिसाइलों से दुश्मन को कर सकता है बर्बाद
यह ड्रोन 204 किलोग्राम की मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है। 25000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर उड़ने के कारण दुश्मन इस ड्रोन को आसानी से पकड़ नहीं पाते हैं। इसमें दो लेजर गाइडेड एजीएम-114 हेलफायर मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसे ऑपरेट करने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है, जिसमें से एक पायलट और दूसरा सेंसर ऑपरेटर होता है। अमेरिका के पास यह ड्रोन 150 की संख्या में उपलब्ध हैं।
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