सिक्किम राज्य भारत के पूर्वी-उत्तर भाग में एक पर्वतीय राज्य है. इसका आकार अंगूठे की तरह का दिखाई देता है. सिक्किम ग्याल राजतंत्र द्वारा शासित एक स्वतंत्र राज्य था. लेकिन प्रशासनिक समस्याओं के चलते 1975 में हुए जनमत संग्रह के द्वारा इसका भारत में विलय हो गया. आकार में छोटा होने के बाद भी सिक्किम राज्य का अपनी सभ्यता और संस्कृति के कारण विशेष महत्व है. भारत में पर्यटन स्थल के रूप में सिक्किम का विशेष महत्व है.
संगीत के क्षेत्र में भी सिक्किम का विशेष महत्व है. पाश्चात्य रोक संगीत यहां पर आमतौर पर घरों , भोजनालयों यहां तक की गैर-शहरी इलाकों में भी सूनने को मिल जाता है.यहां के लोग हिंदी संगीत में भी रूचि रखते हैं. यहां पर नेपाली काव्य भी अत्यंत प्रचलित है.
सिक्किम में लोक संगीत का भी विशेष महत्व है. यहां का लोक संगीत भी नृत्य रूपों जितना ही आकर्षक और विशिष्ट है. अगर यहां के लोक संगीत के इतिहास की बात करें तो लोक संगीत का विषय ज्यादात्तर कृषि के आस-पास घूमते हैं. ये लोक गीत प्राकृतिक सुंदरता और जानवरों की प्रशंसा करते हैं. गीतों के स्वर और संवाद सरल होते हैं, जिससे नर्तकियों को नृत्य के साथ साथ इनको गाने में ज्यादा समस्या ना हो. पुलकवन पट्टू सिक्किम में लोक संगीत का एक प्रसिद्ध रूप है. पुल्लवर समुदाय नाग देवता की पूजा करता है. नाग देवता को खुश करने के लिए तथा नाग देवता से आशिर्वाद पाने के लिए इस तरह का लोक संगीत गाया जाता है.
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लोक गीतों के साथ संगीत विभिन्न उपकरणों जैसे ड्रैनियन ( 6 स्ट्रिंग्स के साथ मधुर संगीत पैदा करने वाला एक उपकरण होता है ), इसके अलावा गयुमंग , बांसुरी , झांझ इत्यादि का प्रयोग किया जाता है. अगर प्राचीन वाद्य-यंत्रों की बात करें तो उसमें सुसिरा , घाना , वंधा इत्यादि को प्रयोग किया जाता था.