राहुल गांधी के निर्णयक कदमों की बदौलत, कांग्रेस विधानसभा चुनावों को जीतने में रहीं सफल

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नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस के खेमे में एक अलग सी खुशी देखने को मिल रहीं है. अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल को नेता नंबर-1 भी बोला जा रहा है.

इन पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव पर नजर बनाए तो ये साफ साबित होता है कि राहुल आने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी को कड़ी टक्कर दे सकते है. ये ही नहीं चुनाव में राहुल ने अपनी पार्टी को ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मोदी से मुकाबला करने में भी सफल रहे है. तो चलिए जानते है उन कदमों के बारे में जिन्होंने एक बार फिर से कांग्रेस को राजनीती में खड़ा कर दिया है.

  • राहुल ने पार्टी की अध्यक्षता की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली तो उन्होंने पीएम मोदी की तरह अपनी बात जनता तक पहुंचना शुरू कर दिया. जिसका सीधा असर उनके भाषणों में देखने को मिला. उन्होंने इसका सबूत कर्नाटक में सरकार बनाने से दिया.
  • साल 2018 से पहले कांग्रेस में नेतृत्व की कमी के कारण नेता जनता तक अपनी बात पहुँचाने में विफल होती नजर आ रहीं थी. जहां भाजपा अपना काम सही ढंग से कर रहीं थी वहीं कांग्रेस पूरी तरह असफल साबित हो रहीं थी. अध्यक्ष बनते ही राहुल ने इस कमी को दूर करते हुए गब्बर सिंह टैक्स और मोदी मेड डिजास्टर जैसे तीखे शब्दों का प्रयोग करना स्टार्ट कर दिया.
  • विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के बाद से राहुल में कई बड़े बदलाव देखे गए है. अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह से साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हार की वजह पार्टी को अहंकार बताया था वो काफी हद तक उनके हित में रहा था. इसे बाद राहुल के इस बयान का सीधा प्रभाव भी पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर देखने को मिल था.

  • उन्होंने अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद ही सबसे पहले एमपी में चल रहे कमलनाथ और सिंधिया के बीच मनमुटाव को दूर कर दिया. जहां उन्होंने कमलनाथ को पार्टी की कमान सौंपी तो सिंधिया को पार्टी प्रचार समिति की कमान दी. वहीं राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के समर्थकों में आक्रोश न बने इसलिए उनके निर्देश पर दोनों ही चुनावी रण में उतरे.
  • काफी प्रचार के बाद भी राहुल को गुजरात में करारी हार झेलनी पड़ी. लेकिन इस हार के बाद राहुल गांधी एक नेता के तौर पर निखरते चले गए. रैलियों और जनसभाओं में अपने भाषण से विपक्ष को घेरने एम् सफल रहें. उन्होंने कई बड़े मुद्दे जैसे किसान, राफेल, सीबीआई, आरबीआई और रोजगार को उजागार कर मोदी सरकार पर निशाना साधने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा.