वस्तु एवं सेवा कर के तहत आए बदलावों में ग्राहकों को तैयार फ्लैट के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी । इसका कारण यह है कि जिन कंपनियों के पास बड़ी संख्या में पहले से तैयार बिना बिके मकान है उनके डेवलपर बढ़ी लागत का बोझ उसके खरीदारों पर डालने की ताक में है । हालांकि नए फ्लैट की लागत में कमी आएगी जिससे डेवलपर को राहत मिलेगी, जिनकी नई परियोजनाएं आने वाली है या परियोजनाएं शुरूआती चरण में है ।
हाउस ऑफ़ हीरानंदानी के सीएमडी सुरेंद्र हीरानंदानी ने कहा कि डेवलपर को उन परियोजनाओं के संदर्भ में थोड़ा लाभ हो सकता है, जो शुरूआत में है । तैयार मकानों के मामले में उन्हें कर का बोझ उठाना पड़ेगा, क्योंकि उन्हें जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है ।
गेरा डेवेलपमेंट्स के एमडी रोहित गेरा ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में निर्माणधीन परियोजनाओं पर कर 12 प्रतिशत होगा । यह खरीदारों के लिए 6.5 प्रतिशत अधिक है । उन्होंने कहा कि कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने का विकल्प है, लेकिन यह तैयार मकानों पर लागू नहीं होगा । उन्होंने कहा कि इसके कारण डेवलपरों को या तो कर का बोझ उठाना पड़ेगा या फिर इसे ग्राहकों पर टालना पड़ेगा अथवा कर के हिसाब से तैयार मकानों के दाम बढ़ाने पड़ेंगे ।
बेंगलुरु स्थित कंपनी साइट्रस वेंचर्स के सीईओ विनोद एस. मेनन का कहना है कि हर कोई जीएसटी की सकारात्मक बातें कह रहा है, लेकिन विस्तार में जाने पर इसमें जो समस्या दिखती है ऐसा लगता है उसको लेकर किसी के पास भी चीज़े स्पष्ट नहीं है । मेनन ने कहा, हालांकि एक तिहाई कटौती के कारण प्रभावी दर 12 प्रतिशत है ।