तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार की बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील, कहा- पीड़िता के सबूतों को किया नजरअंदाज

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तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार की बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील, कहा- पीड़िता के सबूतों को किया नजरअंदाज

तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ गोवा सरकार की बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील, कहा- पीड़िता के सबूतों को किया नजरअंदाज

गोवा सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा है कि रेप के मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल के खिाफ फिर से सुनवाई होनी चाहिए। सरकार ने हाई कोर्ट में अपील दायर की है और तर्क दिया  कि फैसले के बाद पीड़ता को लगने वाले आघात, उसके चरित्र पर पर उठाए गए सवालों में आदलत का आभाव देखा गया। सरकार ने तर्क दिया कि अदालत ने पीड़िता के सबूतों को नजरअंदाज किया गया। सरकार ने यह भी कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष के सभी सबूतों को सच माना जबिक पीड़िता के सबसे अहम सबूत, माफी वाले ई-मेल को नजरअंदाज कर दिया।

लिफ्ट में रेप का आरोप

तरुण तेजपाल को 21 मई को फास्ट-ट्रैक अदालत ने अपने फैसले में दोषी न मानते हुए बरी कर दिया था। 58 साल के पूर्व पत्रकार के ऊपर 2013 में एक फाइव स्टार होटल की लिफ्ट में तहलिका मैगजीन के ही एक इवेंट के दौरान सहकर्मी के साथ रेप करने का आरोप लगाया गया था।

शिकायतकर्ता के अनुसार, तेजपाल ने 7 नवंबर 2013 को होटल की लिफ्ट में महिला के साथ दुष्कर्म किया और अगले दिन फिर से उसका शोषण करने की कोशिश की। तेजपाल ने अदालत में इन आरोपों का खंडन किया और बाद में उन्हें बरी कर दिया गया। बता दें कि 2014 से  तेजपाल जमानत पर बाहर थे।

गोवा सरकार ने की दोबारा सुनवाई की मांग

गोवा सरकार निचली अदालत के “पीड़ित के आघात के बाद के व्यवहार के समझ की कमी” के आधार पर फिर से सुनवाई की मांग करती है। अपने फैसले में, अदालत ने सुझाव दिया कि महिला ने यौन उत्पीड़न की शिकार के साथ संगत तरीके से व्यवहार नहीं किया।

अदालत ने अपने फैसले में कहा, “तस्वीरों के प्रिंटआउट से साफ साबित होता है कि अभियोक्ता बिल्कुल अच्छे मूड में थीं। खुश, सामान्य और मुस्कुराती हुई. वह किसी भी तरीके से परेशान या आहत नहीं दिखाई देती हैं. हालांकि उन्होंने दावा किया है कि यौन उत्पीड़न करने के कुछ ही मिनटों बाद उसे दहशत और आघात की स्थिति में डाल दिया गया था।”

गोवा सरकार के तर्क

हाई कोर्ट की गोवा पीठ के समक्ष दायर की गई अपील में इस हफ्ते संशोधन करके निचली अदालत के पहलुओं और तेजपाल को बरी किए जानें के खिलाफ दलीलों को शामिल किया गया है। बता दें कि सरकार ने दावा किया है कि अदालत ने इस मामले में माफी वाले  ई-मेल को नजरअंदाज किया है जो कि सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है इसी से आरोपी का जुर्म दिखाई देता है.

बताया गया है कि तेजपाल ने 2013 में यह ई-मेल अपनी सहकर्मी को भेजा था जिसमें उन्होंने अपनी हरकतों के लिए माफी मांगी थी. बता दें कि 21 मई को बरी होने पर तेजपाल ने “सच्चाई के साथ खड़े होने” के लिए न्यायाधीश को धन्यवाद दिया था।

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