ससुर ने बहू का कन्यादान कर किया पिता का काम, समाज को दी बड़ी मिसाल

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नई दिल्ली: हमारे समाज में आज भी लोग रूढ़िवादी चीजों को काफी बढ़ावा देते है. समाज में आज भी शादी के बाद विधवा बहू की दोबारा शादी करना परंपराओं के विपरीत माना जाता है. काफी गांव ऐसे भी है जहां विधवाओं की दोबारा से शादी करना समाज के अनुरूप कहलाता है.

लेकिन आज भी काफी लोगों ऐसे है जो इस प्रकार की रूढ़िवादी चीजों को तोड़ने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहें है. इसी कड़ी में एक है बालावाला निवासी विजय चंद जिन्होंने अपनी विधवा बहू के लिए लड़का ढूंढा और बेटी की तरह धूमधाम से उसकी शादी की और समाज को एक नया आईना दिखाया. उन्होंने अपने इस नेक काम से समाज को एक मिसाल दी है. ऐसे करके उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत किया कि “बेटी चाहे अपनी हो या फिर पराई  की बेटी-बेटी होती है.” विजय चंद (ससुर) ने अपनी बहू के पिता की भूमिका निभाते हुए अपने हाथों से कन्यादान किया और अन्य रस्में निभाई. ये ही नहीं विवाह के बाद उन्होंने अपनी बहू को उसके नये ससुराल तक विदा किया.

विजय चंद ने अपने बेटे संदीप की शादी साल 2014 में कविता से करवाई थी. परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन इस हंसते-खेलते परिवार को साल 2015 में मानों किसी की बुरी नजर लगी और हरिद्वार में हुए एक हादसे में संदीप की मौत हो गई.  उस दौरान कविता के सास-ससुर ने उनकी हिम्मत को टूटने नहीं दिया. कविता ने बताया कि एक बार वह अपने मायके जाने के लिए सोचने लगीं. लेकिन काफी सोचने के बाद उसको अपना यह कदम अपने माता-पिता समान सास-ससुर के लिए बेहद दुखदायी लगा. इसलिए उसने फैसला बदला और वहीं रहने को सोचा. फिर सास-ससुर ने कविता के सहमती से लड़का तलाशना शुरू किया. उनकी तलाशना निजी कंपनी में कार्यरत ऋषिकेश निवासी तेजपाल सिंह पर जाकर पूरी हुई.

फिर दोनों ही परिवारों की सहमती से दोनों की धूमधाम से शादी हुई. ससुर विजय चंद ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी बहू को बेटी की तरह माना. अब उसका संसार दोबारा बसने से उनका पूरा परिवार बेहद खुश है. अगर समाज में इस प्रकार के सास-ससुर हो तो बेटी कभी अपने को पराई नहीं समझेगी.