Explainer: राजनीतिक नियुक्तियों पर राजस्थान कांग्रेस में बखेड़ा, पायलट खेमे के नेता क्यों हैं नाराज?

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Explainer: राजनीतिक नियुक्तियों पर राजस्थान कांग्रेस में बखेड़ा, पायलट खेमे के नेता क्यों हैं नाराज?

Explainer: राजनीतिक नियुक्तियों पर राजस्थान कांग्रेस में बखेड़ा, पायलट खेमे के नेता क्यों हैं नाराज?

जयपुर: राजस्थान में तीन महीने पहले अशोक गहलोत सरकार (ashok gehlot sarkar) के मंत्रिमंडल में बदलाव हुआ था। इसके बाद पिछले महीने राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हुआ। इसी कड़ी में सोमवार को सरकार की ओर से राजनीतिक नियुक्तियों ( political appointments in rajasthan) की दूसरी सूची जारी कर दी गई। पहली सूची में जहरं 58 नेताओं को विभिन्न पद दिए गए वहीं सोमवार को 74 और लोगों की राजनीतिक नियुक्तियांकर दी गई। लेकिन इन नियुक्तियों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस नेताओं के बीच असंतोष और नाराजगी भी खुलकर सामने आई। कम महत्व की नियुक्ति मिलने से असंतुष्ट नेताओं ने मुखर होकर नियुक्ति की खिलाफ कर दी।

कम महत्व वजह या खेमेबाजी का पेच?
कांग्रेस संगठन और सत्ता में शामिल तमाम लोग अब तक इन राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन जब नियुक्तियां कर दी गई तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि नाराजगी खुलकर सामने आने लगी? क्या इसके पीछे सिर्फ कम महत्व की नियुक्ति मिलना ही एक वजह है? या फिर खेमेबाजी से जुड़ा कोई और पेच?

गहलोत के दिल्ली दौरे के बाद लिस्ट फाइनल
राजस्थान की सियासी गलियारों में इन राजनीतिक नियुक्तियों के साथ ही नेताओं की नाराजगी की चर्चाओं का बाजार गर्म है। दरअसल, दूसरी सूची जारी किए जाने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को दिल्ली दौरे पर गए थे। वहां प्रियंका गांधी समेत आला कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि गहलोत को राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर असंतोष की भनक पहले थी और इसी वजह से उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को सूची जारी करने से पहले अवगत भी करा दिया था। इसके बाद ही 74 नेताओं की ताजपोशी का ऐलान किया गया।

पालयट की सबसे बड़ी मांग थी, अब यही नाराजगी की वजह

राजस्थान में सत्ता के साथ ही कांग्रेस को पायलट-गहलोत की खेमेबाजी का सामने करना पड़ा था। दो साल पहले सरकार पर संकट आया और फिर आला कमान ने दोनों के बीच समझाइश कर मामला शांत कराया था। तब पायलट और उनके समर्थकों की कांग्रेस संगठन में वापसी या सत्ता में हिस्सेदारी के पीछे बुनियादी मांगों में मंत्रिमंडल बदलाव के साथ राजनीतिक नियुक्तियां भी थी। देर से ही सही लेकिन पिछले साल नवंबर में गहलोत के मंत्रिमंडल में फेरबदल किया गया। पिछले महीने राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला भी शुरू हुआ और एक दिन पहले जंबो लिस्ट जारी कर दी गई। लेकिन अब यही नियुक्तियां नाराजगी की वजह भी बन गई हैं।

पायलट खेमे के दो नेताओं ने किया ऐलान, ज्योति खंडेलवाल भी नाराज!

नई सूची को लेकर कहा जा रहा है कि राजनीतिक नियुक्तियों में जो नेता ऊंचे पदों की आस लगाए बैठे थे, उन्हें सदस्य बनाया गया। लेकिन वजह कम महत्व की नियुक्ति हो या कुछ और, पायलट खेमे के दो निताओं ने खुलकर नाराजगी जताई है। इनमें राजेश चौधरी और सुशील आसोपा हैं। चौधरी ने कहा है कि ‘कांग्रेस आलाकमान ने मुझे राजनीतिक नियुक्ति के जरिए जो जिम्मेदारी दी है, उसके लिए मैं कांग्रेस आलाकमान का आभार व्यक्त करता हूं,धन्यवाद देता हूं। मैं अपरिहार्य कारणों से यह जिम्मेदारी लेने में असमर्थ हूं एवं आग्रह करता हूं कि मेरे स्थान पर अन्य किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता को मौका दिया जाना चाहिए। अन्य कोंग्रेसी कार्यकर्ता को मौका दिया जाता है तो मैं कांग्रेस आलाकमान का आभारी रहूंगा। मैं कोंग्रेस कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा। धन्यवाद।’

फेसबुक पर राजेश चौधरी का पोस्ट।

वहीं, सुशील आसोपा ने कहा है कि, ‘जो राजनीतिक नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा मुझे आज दी गई है उसे मैं अस्वीकार करता हूं क्योंकि मेरी सहमति नहीं ली गई। मैं 42 महीने की नौकरी छोड़कर पदों के लिए कांग्रेस में नहीं आया। जीवन भर निःस्वार्थ सेवा करता रहूंगा।’

rajasthan congress leader sushil asopa twitter

सुशील आसोपा ने ट्विटर पर ऐसे जताई नाराजगी।

राजेश चौधरी और सुशील आसोपा के साथ ही जयपुर की पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल भी व्यापार कल्याण बोर्ड की सदस्य बनाए जाने से असंतुष्ट हैं।ज्योति को पिछले लोकसभा चुनाव में जयपुर शहर लोकसभा सीट से पार्टी ने टिकट दिया था। चुनावी हार के बाद ज्योति खंडेलवाल ने पार्टी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। तब उन्होंने अपनी हार के लिए कई नेताओं को जिम्मेदार बताया और इनमें मुख्य रूप से विधानसभा चुनाव में मालवीय नगर से कांग्रेस प्रत्याशी रहीं अर्चना शर्मा और उनके पति सोमेंद्र शर्मा का नाम शामिल था। ज्योति ने अर्चना शर्मा और उनके पति पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया था। ऐसे में सोमवार को जब अर्चना शर्मा को राजस्थान समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया और उन्हें व्यापार कल्याण बोर्ड का महज सदस्य बनाया गया तो यह नाराजगी तो सामने आनी ही थी। हालांकि, ज्योति खंडेलवाल की ओर से इस संबंध में कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

दूसरी सूची में 3 बड़े नाम, अर्चना शर्मा को समाज कल्याण का जिम्मा
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की ओर से सोमवार को राजनीतिक नियुक्तियों की दूसरी सूची जारी कर दी गई। इसमें 74 लोगों को प्रदेश के विभिन्न आयोग-बोर्ड और निगमों में जिम्मेदारी दी गई। इनमें 7 को बोर्ड-निगम में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया गया और 67 को सदस्य। कांग्रेस नेता और पूर्व प्रदेश प्रवक्ता अर्चना शर्मा को राजस्थान समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। इस लिस्ट में कांग्रेस विधायक सुरेश मोदी और गजराज खटाणा के नाम भी शामिल हैं। मोदी को राजस्थान व्यापार कल्याण बोर्ड का और खटाणा को भवन एवं अन्य सनिर्माण राज्य स्तरीय सलाहकार समिति (श्रम विभाग) का अध्यक्ष बनाया गया है।

पहली सूची में 11 विधायकों का ओहदा बढ़ाया था

राजनीतिक नियुक्तियों की पहली सूची पिलछे महीने 9 तारीख को जारी की गई थी। गहलोत सरकार की ओर से इस सूची में 58 नेताओं को विभिन्न पद दिए गए जिनमें जिनमें 11 विधायक शामिल थे।

Rajasthan : अशोक गहलोत सरकार की राजनीतिक नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट जारी, इन 74 नेताओं को जिम्मा

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