इस वजह से 15 सितंबर को मनाया जाता है ‘इंजीनियर्स डे’

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देश के प्रसिद्ध इंजीनियर मोक्षागुंडम विश्वेश्वराया का आज जन्मदिवस है और उनको श्रद्धांजलि देने के लिए देश भर में इस दिन इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। 1995 में मोक्षागुंडम के देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत रत्म से नवाजा गया था। देश भर में बने कई नदियों के डेम, ब्रिज और पीने के पानी की स्कीम को कामयाब बनाने के पीछे मोक्षागुंडम का बहुत बड़ा हाथ है। इन्हीं के कारण देश में पानी की समस्या दूर हुई थी।

मोक्षागुंडम कई फील्ड में अपनी पहचान बना चुके हैं लेकिन शिक्षा और इंजीनियरिंग में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मोक्षागुंडम अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को लेकर अक्सर चिंतित रहते थे। मैसूर में उन्होंने अपने कार्यकाल में स्कूलों की संख्या 4,500 से बढ़ाकर 10,500 कर दी थी। इसके साथ-साथ उन्होंने कई कृषि, इंजीनियरिंग और औद्योगिक कॉलेजों को भी खुलवाया ताकि देश के नौजवान अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। मोक्षागुंडम के सम्मान में कर्नाटका में उनके नाम पर कॉलेज भी बनाया गया। इसके बाद बेंगलुरु में भी उनके नाम के दो टेकनॉलोजी इंस्टीट्यूट भी खोले गए। इन महान इंडीनियर के सम्मान में बेंगलुरु में विश्वेश्वराया इंडस्ट्रीयल एंड टेकनोलॉजी म्यूज़ियम भी स्थापित किया गया।

1885 में मोक्षागुंडम ने नासिक, खंडेश और पूना में असिसटेंट इंजीनियर के तौर पर काम किया। इसके बाद एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पद पर रहते हुए देश के कई हिस्सों में कार्यभार संभाला। इसके बाद 1909 में उन्होंने ब्रिटिश सर्विस से रिटारमेंट ले ली। इसके बाद उन्होंने मैसूर सरकार के लिए सेक्रेटरी और चीफ इंजीनियर का पद संभाला। 1913 में वे मैसूर के दीवान बने। 1927-1955 में उन्हें टाटा स्टील का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर नियुक्त किया गया। मोक्षागुंडम को लोग दक्षिणी बेंगलुरु में स्थित जयानगर इलाके का डिजाइन और उसकी योजना बनाने के लिए जानते हैं। एशिया के बेस्ट प्लानड लेयआउट्स में एक जयनागर है जिसका डिज़ाइन पूर्ण रूप से मोक्षागुंडम ने ही किया था।