Eknath Shinde: कहीं विलय नहीं, हम शिवसेना…उद्धव के एमएलए को हमारा व्हिप मानना होगा, एकनाथ शिंदे का बयान h3>
मुंबई: शिवसेना (Shivsena) के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद आज मुंबई (Mumbai) पहुंच चुके हैं। मुंबई पहुंचकर, उन्होंने कहा कि हम सभी लोग बालासाहेब ठाकरे (Bala saheb Thackeray) की विचारधारा को आगे ले जा रहे हैं। हमारे साथ 50 विधायक हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल मैं राज्यपाल से मिलने जा रहा हूं। उसके बाद आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी भी पार्टी में विलय नहीं करेंगे। हम ही शिवसेना हैं। उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के सभी विधायकों को हमारा व्हिप मानना होगा।
एकनाथ शिंदे के इस बयान से यह साफ हो गया है कि उद्धव ठाकरे और बागी गुट के बीच में छिड़ी जंग जल्द खत्म होने वाली नहीं है। इस बयान से यह भी पता चलता है कि आने वाले दिनों में बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना किसकी होगी, पार्टी का चुनाव चिन्ह धनुष बाण किसे मिलेगा। इसको लेकर भी टकराव बढ़ने वाला है। बागी गुट लगातार शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु के आदेश को गैरकानूनी बताता रहा है। दरअसल, विधानसभा में शिवसेना के प्रमुख सचेतक सुनील प्रभु ने पत्र जारी कर पार्टी के सभी विधायकों व मंत्रियों को बुधवार की शाम पांच बजे से पहले वर्षा निवास स्थान पर उपस्थित रहने के लिए आदेश दिया था।
एकनाथ शिंदे के सामने मुसीबत
एकनाथ शिंदे के सामने यह भी मुसीबत है कि वह बीजेपी में शामिल हों या फिर अपने एक नए गुट का गठन करें। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि नए स्पीकर द्वारा उनके गुट को मान्यता दी जाती है या नहीं। हालांकि इस पूरे संग्राम को बीजेपी और शिंदे ने मिलकर लड़ा है। ऐसे में उनके गुट को मान्यता मिलने के आसार भी काफी ज्यादा हैं। खुद एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि वह किसी भी पार्टी में अपने गुट का विलय नहीं करेंगे। अगर वह बीजेपी में शामिल होते हैं तो खुद उनका और उनके गुट का वजूद खतरे में पड़ सकता है।
मंत्रालयों का बंटवारा होना बाकी
एकनाथ शिंदे ने खुद ट्वीट करके जानकारी दी है कि अभी तक उनकी बीजेपी नेताओं से मंत्रालय या विभागों के बंटवारे के संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है। ऐसे में सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों और अफवाहों पर विश्वास न किया जाए। माना जा रहा है कि राज्यपाल से मुलाकात के बाद शिंदे, देवेंद्र फडणवीस से मिलेंगे। इस दौरान विभागों के बंटवारे पर भी चर्चा हो सकती है।
असल शिवसेना किसकी?
एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को जब उद्धव ठाकरे के फ़ैसले को अनसुना करते हुए खुद को असली शिवसेना बताया, तो इसके पीछे उनका अपना गणित है। सदन में शिवसेना के 55 विधायक हैं। ऐसे में अगर 37 या उससे अधिक विधायक उनके पक्ष में आ जाते हैं, तो वह शिवसेना पर अपना हक़ जता सकते हैं। हालांकि, नियम के अनुसार गुट को मान्यता विधानसभा स्पीकर देंगे। लेकिन पार्टी पर अपना दावा करते हुए वह चुनाव आयोग की शरण में भी जा सकते हैं। ऐसे में मौजूदा सियासी विवाद के बीच मूल शिवसेना पार्टी किसके साथ रहेगी, आगे इस पर भी क़ानूनी लड़ाई हो सकती है। हालांकि ठाकरे गुट के अनुसार एकनाथ शिंदे के पास 37 विधायक आएंगे ही नही,ऐसे में यह सवाल ही नहीं उठेगा।
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एकनाथ शिंदे के इस बयान से यह साफ हो गया है कि उद्धव ठाकरे और बागी गुट के बीच में छिड़ी जंग जल्द खत्म होने वाली नहीं है। इस बयान से यह भी पता चलता है कि आने वाले दिनों में बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना किसकी होगी, पार्टी का चुनाव चिन्ह धनुष बाण किसे मिलेगा। इसको लेकर भी टकराव बढ़ने वाला है। बागी गुट लगातार शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु के आदेश को गैरकानूनी बताता रहा है। दरअसल, विधानसभा में शिवसेना के प्रमुख सचेतक सुनील प्रभु ने पत्र जारी कर पार्टी के सभी विधायकों व मंत्रियों को बुधवार की शाम पांच बजे से पहले वर्षा निवास स्थान पर उपस्थित रहने के लिए आदेश दिया था।
एकनाथ शिंदे के सामने मुसीबत
एकनाथ शिंदे के सामने यह भी मुसीबत है कि वह बीजेपी में शामिल हों या फिर अपने एक नए गुट का गठन करें। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि नए स्पीकर द्वारा उनके गुट को मान्यता दी जाती है या नहीं। हालांकि इस पूरे संग्राम को बीजेपी और शिंदे ने मिलकर लड़ा है। ऐसे में उनके गुट को मान्यता मिलने के आसार भी काफी ज्यादा हैं। खुद एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि वह किसी भी पार्टी में अपने गुट का विलय नहीं करेंगे। अगर वह बीजेपी में शामिल होते हैं तो खुद उनका और उनके गुट का वजूद खतरे में पड़ सकता है।
मंत्रालयों का बंटवारा होना बाकी
एकनाथ शिंदे ने खुद ट्वीट करके जानकारी दी है कि अभी तक उनकी बीजेपी नेताओं से मंत्रालय या विभागों के बंटवारे के संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है। ऐसे में सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों और अफवाहों पर विश्वास न किया जाए। माना जा रहा है कि राज्यपाल से मुलाकात के बाद शिंदे, देवेंद्र फडणवीस से मिलेंगे। इस दौरान विभागों के बंटवारे पर भी चर्चा हो सकती है।
असल शिवसेना किसकी?
एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को जब उद्धव ठाकरे के फ़ैसले को अनसुना करते हुए खुद को असली शिवसेना बताया, तो इसके पीछे उनका अपना गणित है। सदन में शिवसेना के 55 विधायक हैं। ऐसे में अगर 37 या उससे अधिक विधायक उनके पक्ष में आ जाते हैं, तो वह शिवसेना पर अपना हक़ जता सकते हैं। हालांकि, नियम के अनुसार गुट को मान्यता विधानसभा स्पीकर देंगे। लेकिन पार्टी पर अपना दावा करते हुए वह चुनाव आयोग की शरण में भी जा सकते हैं। ऐसे में मौजूदा सियासी विवाद के बीच मूल शिवसेना पार्टी किसके साथ रहेगी, आगे इस पर भी क़ानूनी लड़ाई हो सकती है। हालांकि ठाकरे गुट के अनुसार एकनाथ शिंदे के पास 37 विधायक आएंगे ही नही,ऐसे में यह सवाल ही नहीं उठेगा।
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