यहाँ नजर आता है भेदभाव !

419

रविवार को लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में हुआ ऐतिहासिक महिला विश्व कप का फाइनल मैच जिसमे भारतीय महिला क्रिकेट टीम जीत हासिल करने से महज 9 रनों से चूक गईं। महज 9 रनो से चूक कर मिली हार के बावजूद पूरे देश को इन खिलाडियों पर गर्व है। भारतीय पुरुष टीम के कप्तान विराट कोहली से लेकर पूर्व बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने मिताली राज और बाकी खिलाड़ियों के जज्बे को सलाम किया है। इतने अच्छे प्रदर्शन और इतनी सरहाना पाकर भी महिला और पुरुष क्रिकेटरों में ऐसा भेदभाव क्यों ? एक बड़ा सवाल यह खड़ा होता है, कि क्या अब समय आ गया है कि महिला और पुरुष क्रिकेटरों के बीच होने वाले भेदभाव को खत्म किया जाए?

वेतन से लेकर सुविधा तक इतना अंतर
वेतन से लेकर सुविधाओं तक हर मामले में महिला क्रिकेटरों का स्तर पुरुष क्रिकेटरों से काफी कम है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पुरुष क्रिकेटरों की और महिला क्रिकेटरों के कॉन्ट्रैक्ट में जमीन-आसमान का फर्क है। हालांकि यह कहना भी गलत होगा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) महिला क्रिकेटरों के लिए कुछ नहीं कर रहा है, मगर यह भी सच है कि बोर्ड के कॉन्ट्रेक्टों में अभी भी बहुत सुधार की जरूरत है।

2015 के कॉन्ट्रैक्ट में इतना अंतर
आपको बता दें, बीसीसीआई ने नवंबर 2015 में पहली बार महिला क्रिकेटरों को वार्षिक कॉन्ट्रैक्ट दिया था। तब 11 महिला क्रिकेटरों को ग्रेड-ए और ग्रेड-बी में बांटा गया था। वहीं उस समय 26 पुरुष क्रिकेटरों को ग्रेड-ए, ग्रेड-बी, ग्रेड-सी में बांटा गया। महिला क्रिकेटरों के ग्रेड-ए का कॉन्ट्रैक्ट 15 लाख रुपये वार्षिक और ग्रेड-बी का कॉन्ट्रैक्ट 10 लाख रुपये वार्षिक का था। जबकि 2015 में पुरुष क्रिकेटरों के ग्रेड-ए के लिए 1 करोड़ रुपये, ग्रेड-बी के लिए 50 लाख रुपये और ग्रेड-सी के लिए 25 लाख रुपये वार्षिक कॉन्ट्रैक्ट था, जो 2016-17 में बढ़कर ग्रेड-ए का कॉन्ट्रैक्ट 2 करोड़ रुपये, ग्रेड-बी का कॉन्ट्रैक्ट 1 करोड़ रुपये और ग्रेड-सी का कॉन्ट्रैक्ट 50 लाख रुपये हो गया।

आईपीएल की भी मांग
फाइनल मैच के बाद कप्तान मिताली राज ने भी महिला आईपीएल की मांग की। उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूबीबीएल (विमेन्स बिग बैश लीग) से टीम की दो लड़कियों (स्मृति मंदाना और हरमनप्रीत कौर) को अनुभव मिला है। अगर अधिक लड़कियां इस तरह की लीग में खेलती हैं तो इससे उन्हें अनुभव और अपने खेल में सुधार करने में मदद मिलेगी।’ मिताली ने कहा, ‘अब महिलाओं का भी आईपीएल होना चाहिए क्योंकि अब आधार तैयार करने के लिए सही समय आ गया है।’ बीसीसीआई को अब इस पर सोचना होगा।

फाइनल मैच से पहले ही गौतम गंभीर ने कहा था कि महिला क्रिकेटरों का आईपीएल शुरू करने का सही समय आ गया है। गंभीर ने कहा था, ‘आप खुद देखिए कि आईपीएल का फर्क पुरुष क्रिकेट पर कितना पड़ा है। अब समय आ गया है कि महिला क्रिकेटरों के लिए भी आईपीएल हो।’

ट्रेनिंग में भी कम खर्चा
पुरुष क्रिकेटरों की ट्रेनिंग से लेकर फिटनेस तक बीसीसीआई काफी पैसा खर्चती है, वहीं महिला क्रिकेटरों को इस मामले में भी पुरुष क्रिकेटरों जितनी सुविधा नहीं मिलती है। पुरुष टीम के सपोर्ट स्टाफ और महिला क्रिकेटरों के सपोर्ट स्टाफ में भी जमीन आसमान का फर्क होता है। पुरुष क्रिकेटरों की इंजरी और उनके रिहैब पर बोर्ड जितना काम करता है, उतना महिला क्रिकेटरों के लिए नहीं किया जाता।