ममता बनर्जी का ‘खेला होबे’ डिकोड… नंदीग्राम देकर 200 पार जाने का ‘फॉर्म्युला’ था खेला होबे?

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ममता बनर्जी का ‘खेला होबे’ डिकोड… नंदीग्राम देकर 200 पार जाने का ‘फॉर्म्युला’ था खेला होबे?

ममता बनर्जी का ‘खेला होबे’ डिकोड… नंदीग्राम देकर 200 पार जाने का ‘फॉर्म्युला’ था खेला होबे?

 

हिमांशु तिवारी/विश्व गौरव, कोलकाता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव से पहले ‘खेला होबे’ का ‘फॉर्म्युला’ लोगों के बीच रखा। सवाल उठा कि आखिरकार खेला होबे का मतलब क्या है। आमतौर पर बंगाल के लोग इस शब्द को ‘जोरदार मुकाबले’ से जोड़कर देखते हैं। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की टीम ने ‘खेला होबे’ को चुनाव के परिणामों के साथ ही ‘डीकोड’ किया है।

21 मार्च की रात को तमलुक के एक होटेल में नंदीग्राम विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी ने क्लोज डोर मीटिंग की। उधर, नामांकन के साथ नंदीग्राम विधानसभा सीट से टीएमसी प्रत्याशी ममता बनर्जी ने रणनीति पर कदम बढ़ाना शुरू कर दिया था।

 

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‘सब नंदीग्राम में व्यस्त लेकिन…’
नंदीग्राम विधानसभा सीट से ममता का नामांकन, नंदीग्राम आंदोलन से कनेक्शन, बिरुलिया बाजार की घटना, बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी से मुकाबला…इन तमाम कड़ियों के बीच इसे हॉटसीट माना गया। बीजेपी के लिए भी इस सीट को वर्चस्व से जोड़ दिया गया। परिणामस्वरूप मीडिया भी इस सीट की कवरेज प्रमुखता से करने लगी। बीजेपी आलाकमान की ओर से इस सीट पर प्रचार का खास ध्यान दिया गया। नंदीग्राम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी नेता मिथुन चक्रवर्ती समेत सभी दिग्गजों ने सुवेंदु के लिए प्रचार किया।

 

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‘…और यूं TMC मैनेज करने लगी’
सूत्रों के मुताबिक, इस बीच टीएमसी अन्य सीटों को मैनेज करने में जुटी रही। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम को इतना महत्वपूर्ण जाहिर कर दिया कि अन्य सीटों की ओर बहुत खास ध्यान नहीं दिया गया। इस बीच स्थानीय लोगों को अलग-अलग तरह से टीएमसी ने मैनेज किया।

टीएमसी की चुनावी तैयारियों में अलग-अलग टीमें काम कर रही थीं। हर विधानसभा सीट में प्रशांत किशोर की एक टीम, विधायक कैंडिडेट के समर्थक भी टीएमसी के लिए जमीन मजबूत करने में जुटे हुए थे। जब एनबीटी ऑनलाइन की एक टीम पिंगला पहुंची तो यहां चर्चित पट्टचित्रकार के पास कवरेज के दौरान प्रशांत किशोर की टीम के सबंग क्षेत्र के एरिया मैनेजर प्रताप प्रामाणिक हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे।

 

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मंच पर नहीं, इशारों में सब एक!
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कुछ सीटों पर बीजेपी नेताओं के विवादित बयान भी टीएमसी के लिए फायदे का सौदा साबित हुए। कहीं न कहीं, यह मेसेज गया कि मुस्लिम समुदाय ममता के साथ ही सुरक्षित है। बीजेपी की सरकार बनने पर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ मुस्लिम वोटबैंक टीएमसी के साथ एकजुट हुआ। बाकी बंगाल चुनाव में महागठबंधन ने शक्ल जरूर नहीं ली लेकिन बीजेपी को शिकस्त देने के लिए कहीं न कहीं सभी दल एकसाथ खड़े नजर आए। कोरोना महामारी को देखते हुए राहुल गांधी की ओर से रैलियां रद्द करने का ऐलान भी समर्थन का एक संकेत था।

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि नंदीग्राम विधानसभा सीट पर शिकस्त खाकर ममता बनर्जी के लक्ष्य के साथ 200 प्लस सीटें जोड़ना यह ‘फॉर्म्युले’ का हिस्सा हो सकता है।

खेला होबे का पूरा किस्सा क्या है

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