नई दिल्ली: भारत (India) के पड़ोसी देश भूटान (Bhutan) का भी जल्द ही अपना एक सैटेलाइट (Satellite) होगा. इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने स्तर से भूटान का सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है. इस लॉन्चिंग में भूटान के चार इंजीनियरों को भी शामिल करते हुए भारत ने उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है. ये इंजीनियर भारत के साथ मिलकर अपने देश के लिए सैटेलाइट तैयार करेंगे.
दो चरणों में होगी इंजीनियरों की ट्रेनिंग
इस ट्रेनिंग का पहला चरण 28 दिसंबर से 25 फरवरी 2021 तक ISRO के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में पूरा होगा. इस ट्रेनिंग में सैद्धांतिक और तकनीकी पहलू दोनों शामिल होंगे. इसके साथ ही चारों इंजीनियरों को प्रयोगशालाओं और परीक्षण सुविधाओं के दौरे भी कराए जाएंगे. इस ट्रेनिंग के दूसरे चरण में भूटान (Bhutan) के लिए उपग्रह विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
सैटेलाइट के लिए बनाया गया संयुक्त कार्य समूह
भूटान के लिए बनने वाले इस उपग्रह का उपयोग देश के प्राकृतिक संसाधनों का मानचित्रण करने और आपदा प्रबंधन के लिए किया जाएगा. सैटेलाइट (Satellite) लॉन्चिंग के लिए बनाया गया भारत- भूटान के एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया है. यह समूह इस परियोजना पर काम कर रहा है.
‘दोनों देशों में स्पेस तकनीक में बढ़ेगा सहयोग’
भूटान में भारत के दूतावास ने कहा कि पहली सैटेलाइट लॉन्च होने से दोनों देशों में स्पेस टेक्नॉलॉजी में सहयोग बढ़ेगा और आपसी संबंध भी मजबूत होंगे. इस योजना के लिए चयनित किए गए इंजीनियर भूटान के सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग से हैं, जो सूचना और संचार मंत्रालय के अंतर्गत आता है.
पिछले महीने दोनों देशों में हुई थी वर्चुअल मीट
बता दें कि पिछले महीने भारत और भूटान के प्रधानमंत्रियों के बीच वर्चुअल मीट आयोजित हुई थी. जिसमें भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भूटान के लिए 2021 में पहला सैटेलाइट लॉन्च किया जाएगा. छोटे आकार वाले इस सैटेलाइट को बनाने के लिए भूटान के 4 इंजीनियरों को ट्रेनिंग दी जाएगी.
पीएम मोदी ने अगस्त 2019 में की थी घोषणा
सैटेलाइट लॉन्चिंग की इस परियोजना की घोषणा पहली बार अगस्त 2019 में पीएम मोदी की भूटान यात्रा के दौरान की गई थी. उस यात्रा के दौरान थिम्पू में साउथ एशिया सैटेलाइट के लिए एक ग्राउंड अर्थ स्टेशन का उद्घाटन किया गया था.
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पड़ोसियों के लिए सैटेलाइट विकसित कर रहा है भारत
भारत के नेतृत्व में दक्षिण एशिया उपग्रह परियोजना 2017 में शुरू की गई थी. अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव इस परियोजना का हिस्सा हैं. भारत ने भूटान की आवश्यकताओं को देखते हुए उसे उपहार के रूप में उपग्रह पर एक अतिरिक्त ‘ट्रांसपोंडर पर बैंडविड्थ’ बढ़ाने की पेशकश की है.