Controversy On IPS Vikas Vaibhav: राजनीति की राह पर चलने के लिए बेचैन है IPS विकास वैभव का मन, जानिए क्या हैं संकेत?
फेसबुक पर नौकरी से संन्यास का दिया संकेत
विकास वैभव ने ट्वीट को तो डिलीट कर दिया, लेकिन उनके फेसबुक वाल पर आज भी उनका दार्शनिक अंदाज में किया गया पोस्ट इस बात की गवाही देता है कि नौकरी से वे ऊब चुके हैं। उन्होंने लिखा है- ‘यात्री मन व्याकुल है! बंधनों से मुक्त होना चाहता है! परिस्थितियां अवरोध उत्पन्न करती प्रतीत भले हो रहीं हों, परंतु यात्री मन यह भी जानता है कि यात्री मन को कोई बांध नहीं सकता है! जो निर्धारित है, वह स्वयं अपना मार्ग प्रशस्त करेगा! शेष सब माया ही है, परंतु कर्म महत्वपूर्ण है।‘ यात्री मन बंधनों से मुक्त होना चाहता है- कहने का सीधा अर्थ तो यही निकलता है कि अब वे पुलिस सेवा की नौकरी से आजाद होना चाहते हैं। अगली पंक्ति उनके डिटरमिनेशन को इंगित करती है- यात्री मन को कोई बांध नहीं सकता। यानी ट्वीट, पीड़ा या अपमान तो वैभव का बहाना मात्र है। वे तो तय कर चुके हैं कि उन्हें क्या करना है।
राजनीति में रुचि बढ़ने लगी है विकास वैभव की
विकास वैभव की राजनीति में रुचि बढ़ने लगी है। इसकी जमीनी तैयारी भी उन्होंने शुरू कर दी है। वे अपने एनजीओ के माध्यम से समाज के विभिन्न तबकों के लोगों को सम्मानित-प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर आयोजन करते रहते हैं। डीजी शोभा अहोतकर को शायद उनके इस काम से आपत्ति है। मूल काम से इतर सामाजिक कार्यों में वैभव की रुचि को वह पसंद नहीं करतीं। अनबन की वजह संभवतः यह हो सकती है। बहरहाल, अपनी पीड़ा का जिस तरह से वैभव ने इजहार किया, उससे उनको उम्मीद थी कि इससे वह चर्चा के केंद्र में तो आ ही जाएंगे, सरकार की सहानुभूति भी मिलेगी। लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। सीएम नीतीश कुमार को उनका यह तरीका पसंद नहीं आया। सरकार की सहानुभूति बिहारियत की भावना जगाने के बावजूद उन्हें नहीं मिली।
क्या लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे आईपीएस विकास वैभव?
भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि विकास वैभव लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। अगर वह चुनाव लड़ते हैं तो कौन पार्टी उन्हें टिकट देगी। हमारे पास आयी जानकारी बताती है कि विकास वैभव की पहली पसंद बीजेपी है। हालांकि बीजेपी का कोई नेता इस बात की पुष्टि करने के लिए अभी तैयार नहीं है। दरअसल विकास वैभव को अगला लोकसभा का चुनाव लड़ना है तो उन्हें अपने इस्तीफे की प्रक्रिया अभी से शुरू करनी होगी। हमारे सूत्र का तो दावा है कि वह बेगूसराय से चुनाव लड़ना चाहते हैं। बेगूसराय से निर्वाचित और अभी केंद्र में मंत्री गिरिराज सिंह के बारे में सूचना है कि उनकी उम्र 70 से आगे बढ़ गयी है। जिस तरह गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने कई उम्मीदवारों को बदला और उसका सकारात्मक परिणाम मिला, उसी पैटर्न पर बिहार में भी बीजेपी कुछ के टिकट काटेगी। अगर ऐसा हुआ तो विकास वैभव की राह आसान हो जाएगी।
रिपोर्टः ओमप्रकाश अश्क