कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान की आलोचना की

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को भारतीय सेना से जुड़ा एक बयान दिया, जिस पर विवाद बढ़ता नजर आ रहा है.कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने  के बयान की आलोचना की. राहुल गाँधी के मुताबिक के बयान में उन लोगों का अपमान किया गया है जो देश के लिए अपनी जान दे रहे हैं.

रविवार को ने बिहार के मुज्जफरपुर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुये कहा था कि ‘देश को अगर हमारी जरूरत पड़े तब हमारा संविधान और कानून हमे इजाजत दे तो हम तुरंत तैयार हो जाएंगे. सेना को तैयार होने में ६ सात महीने लगेंगे. जबकि संघ के स्वयं सेवकों को दो से तीन महीने ही लगेंगे’. राहुल गाँधी को उनका ये बयान बिल्कुल रास नहीं आया. उन्होंने इस बात की कड़ी आलोचना करते हुये कहा कि , ‘यह उन लोगों का अपमान है जो देश के लिए अपनी जान दे रहे हैं. यह हमारे तिरंगे का भी अपमान है क्योंकि हमारे सैनिक इसको सैल्यूट करते हैं. सेना और शहीदों का अपमान करने पर श्री भागवत जी आपको शर्म आनी चाहिए’.

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी के बयान पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा अगर ये शब्द किसी और पार्टी के नेता ने इस्तेमाल किये होते तो अब तक भाजपाई नेता उसे पाकिस्तान भेज देते या मीडिया तो फांसी की सजा ही  सुना देती. लेकिन बात भागवत की है. ‘हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती’.

बयान को गलत तरीके से किया गया पेश

हालांकि संघ की ओर से मामले में दी गई सफाई में कहा गया है कि मोहन भागवत की ओर से दिए गए बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है. उनके कहने का मतलब था कि परिस्थिति आने पर और संविधान द्वारा मान्य होने पर भारतीय सेना को सामान्य समाज को तैयार करने के लिए 6 महीने का वक्त चाहिए, लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को भारतीय सेना 6 महीने में ही तैयार कर लेगी क्योंकि संघ के स्वयंसेवकों का अनुशासन ही ऐसा रहता है. इससे इस बात की पुष्टी होती है कि यह सेना के साथ तुलना नहीं है बल्कि समाज और स्वयंसेवकों के बीच की बात थी. इसी बीच राहुल गांधी के बयान पर मनमोहन वैद्य ने आपत्ति जताते हुये बोला है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सेना की तुलना नहीं की है, उनका बयान बेबुनियाद है, वो अनावश्यक राजनीति कर रहे हैं. इस तरह देश की सेना को लेकर उन्हें राजनीति नहीं करनी चाहिए.