शिवरात्रि पर शिव को खुश करने के लिए याद रखें कुछ ख़ास बातें

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हिन्दुओं के पर्व-त्योहारों में एक ख़ास जगह रखने वाले महाशिवरात्रि का त्यौहार जल्द ही आने वाला है.  महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के पूजन का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है जिसे फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है.

मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शिव का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था. भगवान शिव के बारे में प्रचलित है कि वो जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्दी नाराज़ भी हो जाते हैं. यही वजह है कि शिवरात्रि के दिन शिव की आराधना में कुछ बातों का ख़ास ध्यान रखना ज़रूरी है.

ये हैं व्रत की सावधानियां

  • शिवरात्रि के दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए. आज के दिन जल्दी उठ जाएं और बिना स्नान किए कुछ भी ना खाएं. अगर व्रत नहीं है तब भी बिना नहाये भोजन ग्रहण न करें.
  • सबसे ज़रूरी और ध्यान में रखने की बात है कि अगर आप शिवरात्रि का उपवास रख रहे हैं तो सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और गर्म पानी से शरीर की सारी अशुद्धि दूर कर लें.
  • आज के दिन नए कपड़ा पहनना ज़रूरी नहीं है लेकिन साफ-सुथरे कपड़े ही पहनें.
  • शिवरात्रि पर चावल, दाल और गेहूं से बने खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए. शिवभक्तों को फल, दूध, चाय, कॉफी इत्यादि का सेवन करना चाहिए.
  • यदि शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें.
  • ऐसा मना जाता है कि भक्तजनों को शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दुर्भाग्य आता है. ऐसा करने से धन हानि और बीमारियां भी हो सकती हैं.
  • ये भी कहा जाता है कि शिवरात्रि पर भक्तों को सोने के बजाए जागरण करना चाहिए. रात्रि जागरण के समय भगवान शिव के भजन और आरती गाना चाहिए.
  • व्रत की अगली सुबह स्नान के बाद प्रसाद ग्रहण करके और भगवान शिव को तिलक लगाकर व्रत तोड़ा जा सकता है.
  • सामान्यत: शिवरात्रि का व्रत सुबह शुरू होता है और अगली सुबह तक रहता है. व्रती को फल और दूध ग्रहण करना चाहिए हालांकि सूर्यास्त के बाद आपको कुछ नहीं खाना चाहिए.
  • शिवलिंग पर सबसे पहले पंचामृत चढ़ाना चाहिए. पंचामृत यानी दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल से बना हुआ मिश्रण.
  • जो लोग चार प्रहर की पूजा करते हैं उन्हें पहले प्रहर का अभिषेक जल, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करना चाहिए.

Shivay -

भोलेनाथ को नहीं पसंद ये चीज़ें

  • शिवलिंग पर कभी भी तुलसी की पत्ती नहीं चढ़ानी चाहिए. वहीं शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से पहले इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि पाश्चुरीकृत या पैकेट का दूध इस्तेमाल ना करें और शिवलिंग पर सिर्फ ठंडा दूध ही चढ़ाएं.
  • शिव अभिषेक हमेशा ऐसे पात्र से करना चाहिए जो सोना, चांदी या कांसे का बना हो. अभिषेक के लिए कभी भी स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग ना करें.
  • भगवान शिव पर भूलकर भी केतकी और चंपा के फूल नहीं चढ़ाएं. कहा जाता है कि इन फूलों को भगवान शिव ने शापित किया था. केतकी का फूल सफेद होने के बावजूद भोलेनाथ की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए.
  • भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाने चाहिए. अक्षत का मतलब होता है अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है. इसल‌िए श‌िव जी को अक्षत चढ़ाते समय यह देख लें क‌ि चावल टूटे हुए तो नहीं है.
  • शिवरात्रि पर तीन पत्रों वाला बेलपत्र शिव को अर्पित करें और डंठल चढ़ाते समय आपकी तरफ हो. टूटे हुए या कटे-फटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए.
  • शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक ना लगाएं. हालांकि भक्तजन मां पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति पर कुमकुम का टीका लगा सकते हैं.

इस तरह प्रसन्न होंगे भोलेनाथ

  • भगवान शिव को दूध, गुलाब जल, चंदन, दही, शहद, घी, चीनी और जल का प्रयोग करते हुए तिलक लगाएं.
  • शिवरात्रि पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए चंदन का टीका लगा सकते हैं.
  • भोलेनाथ को वैसे तो कई फल अर्पित किए जा सकते हैं लेकिन शिवरात्रि पर बेर ज़रूर अर्पित करें क्योंकि बेर को चिरकाल का प्रतीक माना जाता है.
  • ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति पर केवल सफेद रंग के ही फूल ही चढ़ाने चाहिए क्योंकि भोलेनाथ को सफेद रंग के ही फूल प्रिय हैं.