जम्मू में असंतुष्ट कांग्रेसी नेताओं ने मीटिंग की है।कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने भगवा पगड़ी बांध के अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाए हैं। सवाल है कि क्या G-23 कांग्रेस में बगावत का पैगाम है? आज आवाज़ अड्डा में इसी पर बड़ी चर्चा करेंगे। जिसमें गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व पर भरोसा जताया गया है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यसभा से रिटायर हुए हैं। अभी राजनीति से रिटायर नहीं हुआ हूं। आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस कमजोर हो गई है। इसमें युवाओं को जोड़ना होगा। कपिल सिब्बल ने कहा है कि आजाद हर जिले की कांग्रेस को जानते हैं। पीएम मोदी ने भी आजाद की सराहना की है।
बता दें कि पिछले साल 23 नेताओं ने सोनिया को पत्र लिखा था। जिसमें कांग्रेस के लिए रेगुलर अध्यक्ष की मांग पर जोर दिया गया था। पत्र में कांग्रेस में फैसले लेने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे। G-23 के सवालों का कांग्रेस नेतृत्व पर खास असर नहीं है।
G-23 नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस के साथ ही रहेंगे। G-23 के नेता के सभी नेता पार्टी की मौजूदा स्थिति से असंतुष्ट हैं। अब अगली मीटिंग G-23 की हिमाचल प्रदेश में हो सकती है। इसके साथ ही दूसरे राज्यों में भी यह मीटिंग हो सकती है। इसका 5 राज्यों के चुनाव नतीजों पर असर पड़ सकता है। राहुल गांधी के नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष हमले होने की संभावनाा है। जून में अध्यक्ष के चुनाव में कैंडिडेट मैदान में उतर सकते हैं। आखिरकार पार्टी में विभाजन की नौबत भी आने की संभावना है।
कांग्रेस का कहना है कि जम्मू में जमा हुए नेता कांग्रेस के सम्मानित सदस्य हैं। अच्छा होता कि ये नेता 5 राज्यों के चुनाव प्रचार में होते। गुलाम नबी आजाद को पार्टी ने हमेशा मौका दिया है। आजाद 7 बार सांसद, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे हैं। इंदिरा गांधी से यूपीए सरकार में मंत्री भी बनाए गए हैं।G-23 की रैली के लिए नेताओं ने भगवा पगड़ी बांधी है। गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है। आजाद ने मोदी को जड़े याद रखने वाला नेता बताया है। आजाद ने गलतफहमी में रहने वालों को मोदी से सीखने की सलाह दी है। आजाद के रिटायरमेंट पर मोदी ने तारीफ की थी। राज्यसभा से आजाद की विदाई पर पीएम मोदी भावुक हुए थे।
जून महीने में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना है। जिसमें अध्यक्ष पद के लिए AICC के करीब 1500 सदस्य वोटर हैं। 5 राज्यों के इलेक्शन के चलते चुनाव टाल दिया गया है। CWC और CEC में भी लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं। पार्टी संविधान में बूथ लेबल से चुनाव का प्रावधान किया गया है। 5 साल के लिए कांग्रेस का अध्यक्ष चुना जाता है। ज्यादातर चुनाव की जगह आम सहमति की परिपाटी बनी हुई है।
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