क्या सरकारी कर्मचारी पंचायत चुनाव में प्रचार कर सकते हैं?

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पंचायत चुनाव पंचायती राज भारत में स्थानीय सरकार की सबसे पुरानी प्रणाली है। पंचायती राज संस्थाएँ स्थानीय सरकार की इकाइयों के रूप में भारत में लंबे समय से विभिन्न क्रमबद्धता और संयोजनों में अस्तित्व में हैं। हालांकि, यह केवल 1992 में था कि इसे आधिकारिक रूप से भारतीय संविधान द्वारा 73 वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से भारत के संघीय लोकतंत्र के तीसरे स्तर के रूप में स्थापित किया गया था।

ग्राम पंचायत भारतीय गाँवों में एक बुनियादी गाँव शासी संस्थान है। यह भारत में जमीनी स्तर पर एक लोकतांत्रिक संरचना है। यह एक राजनीतिक संस्थान है, जो गांव के कैबिनेट के रूप में कार्य करता है। ग्राम सभा ग्राम पंचायत के सामान्य निकाय के रूप में कार्य करती है। ग्राम पंचायत के सदस्य ग्राम सभा द्वारा चुने जाते हैं।अब हम बात करते हैं की क्या सरकारी कर्मचारी पंचायत चुनाव में प्रचार कर सकते हैं? तो आपको बता दें की सरकारी कर्मचारी किसी भी तरह के राजनितिक चुनाव में प्रचार नहीं कर सकते और ना हीं किसी भी राजनितिक पार्टी के उम्मीद्वार की मदद कर सकते हैं।

क्यूंकि ये चुनाव आयोग द्वारा एक कोड ऑफ़ कंडक्ट है जिसे सभी लोगों को मानना अनिवार्य है अन्यथा इसके विरूद्ध आपको दण्डित भी किया जा सकता है। सरकारी कर्मचारियों को चुनाव में बिल्कुल निष्पक्ष रहना चाहिए। जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास होना चाहिए तथा उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे ऐसी आशंका भी हो कि वे किसी उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं। यदि कोई पदाधिकारी, कर्मचारी ऐसा करते हुए पाया जाता है तो उसके विरुद्ध सरकारी सेवा संहिता एवं आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है।

चुनाव आयोग द्वारा कहना है की सरकारी कर्मचारी निकाय चुनाव में किसी भी उम्मीवार का प्रचार करते मिले तो उनके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। यह चेतावनी उप जिलाधिकारी ने दी है। उन्होंने प्रत्याशियों के साथ बैठक कर आचार संहिता की जानकारियां लीं। प्रत्याशियों की बैठक में उप जिलाधिकारी ने कहा कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी प्रत्याशी का चुनाव प्रचार नहीं करेगा। यदि ऐसा करते पाया गया तो उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।

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