क्या हाई कोर्ट की सिंगल बेंच डबल बेंच के आदेश को रद्द कर सकती है ?

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क्या हाई कोर्ट की सिंगल बेंच डबल बेंच के आदेश को रद्द कर सकती है ?
क्या हाई कोर्ट की सिंगल बेंच डबल बेंच के आदेश को रद्द कर सकती है ?

क्या हाई कोर्ट की सिंगल बेंच डबल बेंच के आदेश को रद्द कर सकती है ? ( Can a single bench of the High Court set aside the order of a double bench? )

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जो संविधान के अनुसार चलता है. भारत के संविधान ने लोगों के अधिकारों की रक्षा का अधिकार न्यायालयों को दिया है. लेकिन काफी बार यह देखने को मिलता है कि लोगों का अपने अधिकारों के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है या फिर किसी भी छोटी छोटी बातों को समझने के लिए उनको वकीलों के पास जाना होता है. लेकिन वर्तमान समय में लोग अपने सवालों के लिए इंटरनेट का प्रयोग भी करने लगे हैं. जिससे वे कई तरह के सवालों को सर्च करते हैं, न्यायालयों से जुड़ा ऐसा ही एक सवाल है कि क्या हाई कोर्ट की सिंगल बेंच डबल बेंच के आदेश को रद्द कर सकती है. अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

मद्रास हाई कोर्ट

सिंगल बेंच तथा डबल बेंच क्या होती हैं –

किसी समझदार इंसान ने कहा है कि किसी भी सवाल का आधा जवाब तो उस सवाल के अंदर ही छूपा होता है. इस सवाल का जवाब जानने से पहले हमारे लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम पहले यह समझे कि सिंगल बेंच तथा डबल बेंच क्या होती हैं. जब भी हम न्याय के लिए हाई कोर्ट में जाते हैं, तो आपका केस किस तरह का है तथा वह कितने लोगों को प्रभावित कर सकता है, इस आधार पर आपके केस का फैसला करने के लिए जज निर्धारित किए जाते हैं. अब मान लो आपके केस की सुनवाई के लिए एक जज को नियुक्त किया जाता है, तो उसे सिंगल बेंच कहा जाता है. इसके अलावा अगर किसी केस के महत्व को देखते हुए 2 जजों को नियुक्त किया जाता है, तो उसे डबल बेंच कहा जाता है.

कर्नाटका हाई कोर्ट

क्या सिंगल बेंच डबल बेंच के आदेश को रद्द कर सकती है-

अब अगर इस सवाल कि बात करें कि क्या सिंगल बेंच डबल बेंच के आदेश को रद्द कर सकती है या नहीं. तो इसका जवाब होगा नहीं कर सकती है, क्योंकि सिंगल बेंच में एक जज होता है तथा डबल बेंच में 2 जज होते हैं. किसी भी बड़ी बेंच के फैसले को कोई छोटी बेंच रद्द नहीं कर सकती है. इसके साथ ही अगर कोई सिंगल बेंच कोई फैसला देती है, उसके बाद डबल बेंच या उससे बड़ी बेंच उसके उल्ट कोई आदेश देती है, तो सिंगल बेंच का आदेश एक तरह से रद्द हो जाता है.

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अगर हम हाई कोर्ट की बात करें या फिर सुप्रीम कोर्ट की किसी बड़ी बेंच का फैसला हमेसा सर्वोपरि होता है. बड़ी बेंच छोटी बेंच के आदेश का रद्द कर सकती है, लेकिन छोटी बेंच बड़ी बेंच के आदेश को रद्द नहीं कर सकती. आज तक के इतिहास की बात करें, तो सुप्रीम कोर्ट मे 13 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था. बेंच में जजों की संख्या किसी भी मुद्दे या मामले की गंभीरता के आधार पर होता है.

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