Black Sea News: काला सागर में डूबी रूसी नौसेना की ‘शान’, पुतिन के रक्षक ने ली जलसमाधि, 81 साल बाद सबसे बड़ा झटका! h3>
मास्को: यूक्रेन की जंग के 50वें दिन गुरुवार को रूस को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा। रूसी नौसेना का स्लावा क्लास का क्रूजर मोस्कवा काला सागर में डूब गया। यूक्रेन का दावा है कि उसने अपनी अपनी नेप्चून क्रूज मिसाइल और तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन की मदद से इस विशाल युद्धपोत को तबाह कर दिया। वहीं, रूस का कहना है कि गोला बारूद में विस्फोट हो जाने की वजह से मोस्कवा युद्धपोत में आग लग गई और वह काला सागर में डूब गया। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के समय साल 1941 के बाद ऐसा पहली बार होगा जब किसी शत्रु देश ने इतने बड़े रूसी युद्धपोत को आग के शोले में बदल दिया हो। यह युद्धपोत रूसी नौसेना की ‘शान’ था और व्लादिमीर पुतिन की सुरक्षा कर चुका था।
मोस्कवा युद्धपोत 12500 टन वजनी था और 600 फुट लंबा था। इसे सोवियत संघ के जमाने में बने इस युद्धपोत के डूब जाने को यू्क्रेन की मनोवैज्ञानिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। रूस ने पहले कहा था कि इस युद्धपोत के अंदर आग लग गई है और उसे तट पर लाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन बाद में उसने पुष्टि की कि मोस्कवा युद्धपोत समुद्र में डूब गया है। बताया जा रहा है कि यह युद्धपोत काला सागर में किसी जगह तैनात था और यूक्रेन के ओडेसा पोर्ट के पास उसके अंदर विस्फोट हो गया। इस युद्धपोत के डूबने की कोई भी वजह हो लेकिन रूसी नौसेना को बड़ा झटका लगा है।
रूस को 81 साल बाद सबसे बड़ा नौसैनिक झटका
अगर यूक्रेन का क्रूज मिसाइल हमले में इसे तबाह करने का दावा सही है तो इसे वर्तमान सदी के इतिहास में सबसे बड़े नौसैनिक हमलों में से एक गिना जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक साल 1941 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब इतना बड़ा रूसी युद्धपोत शत्रु के हमले का शिकार हुआ है। साल 1941 में जर्मनी के गोताखोर बॉम्बर्स ने सोवियत संघ के मराट युद्धपोत को क्रोन्शटडट बंदरगाह पर बर्बाद कर दिया था। अगर इस युद्धपोत में गोला बारूद में आग लगने की वजह से विस्फोट हुआ है तो यह रूस के ब्लैक सी बेडे़ के साथ यह अपनी तरह की दूसरी घटना है। इससे पहले साल 1916 में इम्पेरतरिश्ता मारिया युद्धपोत गोला बारूद में विस्फोट की वजह से समुद्र में डूब गया था।
काला सागर में डूबा रूस का मोस्कवा क्रूजर
इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि मोस्कवा के डूबने का यूक्रेन युद्ध पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा जिसे रूस यूक्रेन के विसैन्यीकरण के लिए चलाया गया विशेष अभियान करार देता है। रूसी सैन्य विश्लेषक अलेक्जेंडर ख्रमचिखिन ने कहा, ‘यह जहाज बहुत पुराना था। वास्तव में इसे अगले 5 साल के अंदर नष्ट करने का प्लान था। यह देखने में ठीक था लेकिन इसका युद्ध के लिहाज से ज्यादा महत्व नहीं था। इसका वर्तमान अभियान से कोई संबंध नहीं था। इसका अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के पास अभी बहुत से ऐसे युद्धपोत हैं जिससे वह यूक्रेन के बंदरगाहों को ब्लॉक कर सकता है और यूक्रेन के शहरों पर मिसाइलों की बारिश कर सकता है।
रूसी नौसेना का था ‘शान’, पुतिन, बुश को दी थी सुरक्षा
रूस का यह जहाज कई ऐंटी शिप और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस था। रूस के पास इसी श्रेणी के दो अन्य युद्धपोत हैं। इनका नाम मार्शल उस्तिनोव और वारयाग। ये युद्धपोत रूस के उत्तरी बेड़े और प्रशांत बेड़े में तैनात हैं। इस युद्धपोत को 1970 के दशक में अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर का मुकाबला करने के लिए बनाया गया था। साथ ही इसकी भूमिका समुद्र के अंदर सोवियत संघ के युद्धपोतों को हवाई सुरक्षा मुहैया कराना था। उस समय इन्हें ‘एयरक्राफ्ट कैरियर का किलर’ करार दिया जाता था। यह युद्धपोत सबसे पहले 1983 में सोवियत संघ की नौसेना में शामिल हुआ था।
रोचक बात यह है कि इसे उस समय के सोवियत यूक्रेन ने बनाया था और उसे ‘स्लावा’ या ‘ग्लोरी’ (शान) नाम दिया गया था। बाद में 1995 में इस युद्धपोत को सोवियत संघ के पतन के बाद राजधानी मास्को के नाम पर ‘मोस्कवा’ नाम दिया गया। इस युद्धपोत ने सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचोव और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर को माल्टा में दिसंबर 1989 में सुरक्षा मुहैया करा चुका है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस युद्धपोत पर दुनिया के नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं। मार्च 2014 में मोस्कवा युद्धपोत ने क्रीमिया पर कब्जे के दौरान यूक्रेन की नौसेना को ब्लॉक करने में भी भूमिका निभाई थी। साल 2015 में इसने रूसी सेना के सीरिया अभियान के दौरान भी हिस्सा लिया था और हवाई रक्षा मुहैया कराई थी।
रूस को 81 साल बाद सबसे बड़ा नौसैनिक झटका
अगर यूक्रेन का क्रूज मिसाइल हमले में इसे तबाह करने का दावा सही है तो इसे वर्तमान सदी के इतिहास में सबसे बड़े नौसैनिक हमलों में से एक गिना जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक साल 1941 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब इतना बड़ा रूसी युद्धपोत शत्रु के हमले का शिकार हुआ है। साल 1941 में जर्मनी के गोताखोर बॉम्बर्स ने सोवियत संघ के मराट युद्धपोत को क्रोन्शटडट बंदरगाह पर बर्बाद कर दिया था। अगर इस युद्धपोत में गोला बारूद में आग लगने की वजह से विस्फोट हुआ है तो यह रूस के ब्लैक सी बेडे़ के साथ यह अपनी तरह की दूसरी घटना है। इससे पहले साल 1916 में इम्पेरतरिश्ता मारिया युद्धपोत गोला बारूद में विस्फोट की वजह से समुद्र में डूब गया था।
काला सागर में डूबा रूस का मोस्कवा क्रूजर
इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि मोस्कवा के डूबने का यूक्रेन युद्ध पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा जिसे रूस यूक्रेन के विसैन्यीकरण के लिए चलाया गया विशेष अभियान करार देता है। रूसी सैन्य विश्लेषक अलेक्जेंडर ख्रमचिखिन ने कहा, ‘यह जहाज बहुत पुराना था। वास्तव में इसे अगले 5 साल के अंदर नष्ट करने का प्लान था। यह देखने में ठीक था लेकिन इसका युद्ध के लिहाज से ज्यादा महत्व नहीं था। इसका वर्तमान अभियान से कोई संबंध नहीं था। इसका अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के पास अभी बहुत से ऐसे युद्धपोत हैं जिससे वह यूक्रेन के बंदरगाहों को ब्लॉक कर सकता है और यूक्रेन के शहरों पर मिसाइलों की बारिश कर सकता है।
रूसी नौसेना का था ‘शान’, पुतिन, बुश को दी थी सुरक्षा
रूस का यह जहाज कई ऐंटी शिप और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस था। रूस के पास इसी श्रेणी के दो अन्य युद्धपोत हैं। इनका नाम मार्शल उस्तिनोव और वारयाग। ये युद्धपोत रूस के उत्तरी बेड़े और प्रशांत बेड़े में तैनात हैं। इस युद्धपोत को 1970 के दशक में अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर का मुकाबला करने के लिए बनाया गया था। साथ ही इसकी भूमिका समुद्र के अंदर सोवियत संघ के युद्धपोतों को हवाई सुरक्षा मुहैया कराना था। उस समय इन्हें ‘एयरक्राफ्ट कैरियर का किलर’ करार दिया जाता था। यह युद्धपोत सबसे पहले 1983 में सोवियत संघ की नौसेना में शामिल हुआ था।
रोचक बात यह है कि इसे उस समय के सोवियत यूक्रेन ने बनाया था और उसे ‘स्लावा’ या ‘ग्लोरी’ (शान) नाम दिया गया था। बाद में 1995 में इस युद्धपोत को सोवियत संघ के पतन के बाद राजधानी मास्को के नाम पर ‘मोस्कवा’ नाम दिया गया। इस युद्धपोत ने सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचोव और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर को माल्टा में दिसंबर 1989 में सुरक्षा मुहैया करा चुका है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस युद्धपोत पर दुनिया के नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं। मार्च 2014 में मोस्कवा युद्धपोत ने क्रीमिया पर कब्जे के दौरान यूक्रेन की नौसेना को ब्लॉक करने में भी भूमिका निभाई थी। साल 2015 में इसने रूसी सेना के सीरिया अभियान के दौरान भी हिस्सा लिया था और हवाई रक्षा मुहैया कराई थी।