क्या आप वेदव्यास की जन्म गाथा से अवगत है?

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क्या आप वेदव्यास की जन्म गाथा से अवगत है ?
क्या आप वेदव्यास की जन्म गाथा से अवगत है

महाभारत के हर पात्र की जन्म कथा विचित्रता है। उस काल में बहुत कम ही ऐसे लोग थे जो सामान्य तरीके से जन्मे थे । अधिकतर के जन्म से जुड़ी कथाएं विचित्र और रहस्यमयी है। महाभारत के एहम पात्र में से एक वेदव्यास के जन्म की कहानी भी काफी अनूठी और रहस्यमय है , जिससे काफी लोग वाकिफ नहीं होंगे। तो हम आपको बताना चाहेंगे आखिर कैसे हुआ वेदव्यास का जन्म एक बार ऋषि पराशर यमुना नदी पार करने के लिए तट पर पहुंचे। यमुनातट पर उन्हें नाव खेने हेतु निषादराज की कन्या सत्यवती मिली। सत्यवती निषादराज की असल पुत्री नही थी बल्कि एक मछली के पेट से उत्पन्न हुई थी।

इसलिए उसके शरीर से मछली की तेज गंध आती थी और उसे मत्स्यगंधा के नाम से भी जाना जाता है। इस महक को स्वयं सत्यवती भी नापसंद करती थी क्योंकि उसकी सखियाँ इस गंध की वजह से उससे दूर – दूर रहती थीं। सत्यवती अत्यंत सुन्दर थी। उसकी सुंदरता पर मोहित होकर ऋषि ने उससे समागम की इच्छा प्रकट की। सत्यवती ने संकोच में पड़कर पहले तो इनकार कर दिया और कौमार्य भंग होने का भय बताया। पराशर ऋषि ने अपनी वाक-चातुर्य से उसे फिर उकसाया तो सत्यवती ने तीन शर्तें रख दीं। उसे समागम करते कोई न देखे। उसका कौमार्य अक्षत रहे। उसके शरीर से आने वाली मछली की गंध समाप्त हो जाये।

महर्षि पराशर ने उसकी तीनों शर्तें को मान लिया और एक धुंध भरे आवरण में उससे समागम किया। कालांतर में सत्यवती ने एक अंधकार भरे द्वीप में एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम कृष्ण-द्वैपायन पड़ गया। इसी कृष्ण द्वैपायन ने अपने विलक्षण ज्ञान और विद्वता से वेदों का संकलन किया जिससे उनका नाम वेदव्यास हो गया।

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