Anil Agarwal Bihar To London: अंग्रेजी के नाम पर सिर्फ Yes और No बोलने वाले बिहार के इस लाल ने ब्रिटेन में ऐसे खड़ा किया अपना साम्राज्य! पूरी डिटेल h3>
नई दिल्ली: सेमीकंडक्टर चिपसेट की कमी से वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल उद्योग को नुकसान हो रहा है। पिछले काफी समय से सेमीकंडक्टर चिपसेट की कमी बनी हुई है। ऐसे में बीते दिनों वेदांता (Vedanta) लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण की दिग्गज कंपनी फॉक्सकॉन गुजरात में सेमीकंडक्टर परियोजना स्थापित करने और डिस्प्ले एफएबी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए गुजरात सरकार के साथ सहमति ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। वेदांता (Vedanta) इस परियोजना में 1,54,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। वेदांता (Vedanta) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Vedanta Chairman Anil Agarwal) ने ट्वीट करके इस बारे में जानकारी दी थी। लेकिन क्या आपको पता है कभी बिहार में रहने वाले वेदांता कंपनी के चेयरमैन अंग्रेजी के नाम पर सिर्फ यस और नो बोलना ही जानते थे। ऐसे में किस तरह (Anil Agarwal Bihar To London) से उन्होंने ब्रिटेन में इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया। चलिए आपको बताते हैं अनिल अग्रवाल किस तरह पहुंचे बुलंदियों पर।
खुद लिखी अपनी किस्तम
कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपनी किस्मत खुद लिखते हैं। उन्हीं में से एक हैं वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल। बिहार से लंदन वाया मुंबई का सफर अनिल अग्रवाल ने कैसे तय किया, उन्होंने खुद बताया। अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने ट्विटर पर बताया कि कैसे वह 2003 में अपनी कंपनी वेदांता को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने वाले पहले भारतीय बने। यही नहीं, अग्रवाल ने ये भी बताया कि उन्होंने ‘रातोंरात’ लंदन जाने का फैसला क्यों लिया था।
पटना में की पढ़ाई, 15 साल में छोड़ा घर
बिहार की राजधानी पटना में जन्मे और पले-बढ़े अनिल अग्रवाल ने मिलर हाई स्कूल से पढ़ाई की। बताया जाता है कि वह अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए 15 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया था और बिहार से पहली बार बाहर निकले। पहले पुणे, फिर मुंबई आ गए। बताया जाता है कि उन्होंने अपना करियर स्क्रैप डीलर के तौर पर शुरू किया। इसके बाद मेटल और तेल और गैस के कारोबार से जुड़ गए। साल 1970 में सेक्रैप मेटल का काम शुरू किया और 1976 में शैमशर स्टेर्लिंग कॉर्पोरेशन को खरीदा।
इस वजह से गए लंदन
वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने बताया कि उस वक्त लंदन स्टॉक एक्सचेंज ( LSE ) में वैश्विक कंपनियां सूचीबद्ध हो रही थीं। और मैं उनमें से एक बनना चाहता था। वास्तव में, मैंने सबसे बड़ा होने का सपना देखा था, इसलिए लंदन जाने का फैसला किया था।
ज्यादा सामान नहीं किया था पैक
अपनी पत्नी को अपना सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बताते हुए अनिल अग्रवाल ने बताया कि मैंने किरण से कहा कि हम लंदन जा रहे हैं। तब वह हमारी बेटी प्रिया के स्कूल गई और उनसे 6 महीने की छुट्टी मांगी, क्योंकि उसे यकीन था कि हम तब तक वापस आ जाएंगे। उसने अब भी बिना किसी संदेह के सब कुछ व्यवस्थित किया। अनिल अग्रवाल ने बताया कि मैंने ज्यादा पैक नहीं किया लेकिन अपनी मां के पराठे और बाबूजी के शॉल को, उनके आशीर्वाद के रूप में ले जाने में कामयाब रहा।
जब लंबे समय के बाद लगा था डर
लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरने के बाद के अपने अनुभव को याद करते हुए अनिल अग्रवाल ने बताया कि हवाई अड्डे से बाहर निकले के बाद यह एक अलग दुनिया की तरह लगा, अलग-अलग लहजे वाले विदेशी लोग, ठंड और बरसात का मौसम, बड़ी सफेद इमारतें। मुझे हर किसी की याद दिला दी, जिन्होंने मुझसे कहा था कि छोटी चिड़िया बड़े आसमान में नहीं उड़ती। मुझे लंबे समय के बाद डर महसूस हुआ।
छात्रों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया
उन्होंने बताया कि लंदन पहुंचने पर मेरे पास बहुत कुछ तो नहीं था, लेकिन मेरे पास एक चीज थी। मेरे मार्गदर्शक, मेरे माता-पिता का विश्वास और आशीर्वाद। इसलिए मैं यहां अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जीवन की इस नई यात्रा का आनंद ले रहा था। पिछले महीने लंदन में ऑक्सफोर्ड यूनियन में छात्रों के साथ बातचीत में अनिल अग्रवाल ने उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि उन्होंने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा से महत्वपूर्ण सीख साझा की।
एक लाख लोगों को मिलेगी नौकरी
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मुताबिक, दोनों कंपनियां गुजरात में यह प्लांट लगाने पर 1,54,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। इस सुविधा से एक लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने इस मौके पर कहा, “यह परियोजना भारत में एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाने के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने में मदद करेगी।
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कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपनी किस्मत खुद लिखते हैं। उन्हीं में से एक हैं वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल। बिहार से लंदन वाया मुंबई का सफर अनिल अग्रवाल ने कैसे तय किया, उन्होंने खुद बताया। अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने ट्विटर पर बताया कि कैसे वह 2003 में अपनी कंपनी वेदांता को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने वाले पहले भारतीय बने। यही नहीं, अग्रवाल ने ये भी बताया कि उन्होंने ‘रातोंरात’ लंदन जाने का फैसला क्यों लिया था।
पटना में की पढ़ाई, 15 साल में छोड़ा घर
बिहार की राजधानी पटना में जन्मे और पले-बढ़े अनिल अग्रवाल ने मिलर हाई स्कूल से पढ़ाई की। बताया जाता है कि वह अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए 15 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया था और बिहार से पहली बार बाहर निकले। पहले पुणे, फिर मुंबई आ गए। बताया जाता है कि उन्होंने अपना करियर स्क्रैप डीलर के तौर पर शुरू किया। इसके बाद मेटल और तेल और गैस के कारोबार से जुड़ गए। साल 1970 में सेक्रैप मेटल का काम शुरू किया और 1976 में शैमशर स्टेर्लिंग कॉर्पोरेशन को खरीदा।
इस वजह से गए लंदन
वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने बताया कि उस वक्त लंदन स्टॉक एक्सचेंज ( LSE ) में वैश्विक कंपनियां सूचीबद्ध हो रही थीं। और मैं उनमें से एक बनना चाहता था। वास्तव में, मैंने सबसे बड़ा होने का सपना देखा था, इसलिए लंदन जाने का फैसला किया था।
ज्यादा सामान नहीं किया था पैक
अपनी पत्नी को अपना सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बताते हुए अनिल अग्रवाल ने बताया कि मैंने किरण से कहा कि हम लंदन जा रहे हैं। तब वह हमारी बेटी प्रिया के स्कूल गई और उनसे 6 महीने की छुट्टी मांगी, क्योंकि उसे यकीन था कि हम तब तक वापस आ जाएंगे। उसने अब भी बिना किसी संदेह के सब कुछ व्यवस्थित किया। अनिल अग्रवाल ने बताया कि मैंने ज्यादा पैक नहीं किया लेकिन अपनी मां के पराठे और बाबूजी के शॉल को, उनके आशीर्वाद के रूप में ले जाने में कामयाब रहा।
जब लंबे समय के बाद लगा था डर
लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरने के बाद के अपने अनुभव को याद करते हुए अनिल अग्रवाल ने बताया कि हवाई अड्डे से बाहर निकले के बाद यह एक अलग दुनिया की तरह लगा, अलग-अलग लहजे वाले विदेशी लोग, ठंड और बरसात का मौसम, बड़ी सफेद इमारतें। मुझे हर किसी की याद दिला दी, जिन्होंने मुझसे कहा था कि छोटी चिड़िया बड़े आसमान में नहीं उड़ती। मुझे लंबे समय के बाद डर महसूस हुआ।
छात्रों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया
उन्होंने बताया कि लंदन पहुंचने पर मेरे पास बहुत कुछ तो नहीं था, लेकिन मेरे पास एक चीज थी। मेरे मार्गदर्शक, मेरे माता-पिता का विश्वास और आशीर्वाद। इसलिए मैं यहां अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जीवन की इस नई यात्रा का आनंद ले रहा था। पिछले महीने लंदन में ऑक्सफोर्ड यूनियन में छात्रों के साथ बातचीत में अनिल अग्रवाल ने उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि उन्होंने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा से महत्वपूर्ण सीख साझा की।
एक लाख लोगों को मिलेगी नौकरी
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मुताबिक, दोनों कंपनियां गुजरात में यह प्लांट लगाने पर 1,54,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। इस सुविधा से एक लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने इस मौके पर कहा, “यह परियोजना भारत में एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाने के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने में मदद करेगी।
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