अफगानिस्तान से भाग रहा अमेरिका, अब रूस ने संभाला मोर्चा, भारत की भी पैनी नजर
हाइलाइट्स:
- अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान और अफगान सेना के बीच खूनी जंग शुरू
- तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है
- इस गृहयुद्ध को रोकने के लिए ईरान के बाद अब रूस ने भी अपने प्रयास तेज कर दिए हैं
मास्को
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही एक बार फिर से देश में तालिबान और अफगान सेना के बीच खूनी जंग शुरू हो गई है। तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच वार-पलटवार शुरू हो गया है। इस गृहयुद्ध को रोकने के लिए ईरान के बाद अब रूस ने भी अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। अफगान सरकार और तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल मास्को पहुंचा है जहां पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत होगी। इस पूरे मामले में रोचक बात यह है कि एक दिन पहले ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी रूस के दौरे पर गए हैं।
माना जा रहा है कि तालिबान नेता रूस पहुंचकर पुतिन प्रशासन को यह आश्वासन देना चाहते हैं कि अगर वे सत्ता में आए तो रूस और मध्य एशिया में उसके सहयोगियों को कोई खतरा नहीं होगा। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रूस के अफगानिस्तान में राजदूत जमीर काबुलोव ने तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की है। रूसी राजदूत ने उत्तरी अफगानिस्तान में हिंसा में तेजी और तनाव पर चिंता जताई है।
तालिबान ने रूस को दिया सुरक्षा का भरोसा
काबुलोव ने तालिबान से कहा कि वे खुद को अपने देश की सीमा के बाहर पैर पसारने से रोकें। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हमें तालिबान से आश्वासन मिला है कि वे मध्य एशियाई देशों की सीमाओं का उल्लंघन नहीं करेंगे। साथ ही अफगानिस्तान में विदेशी राजनयिकों तथा उनके महावाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा का आश्वासन देते हैं।’ तालिबान का यह आश्वासन ऐसे समय पर आया है जब सैकड़ों की तादाद में अफगान सैनिक तालिबान के हमले से बचने के लिए पड़ोसी देश ताजिकिस्तान की सीमा में चले गए थे।
इसके बाद रूस के सहयोगी देश ताजिकिस्तान ने अपने 20 हजार रिजर्व सैनिकों को सीमा पर तैनात कर दिया था। ताजिकिस्तान में ही रूस का सैन्य अड्डा भी है। रूसी अधिकारियों को भय है कि तालिबान के आने से अफगानिस्तान के उत्तरी इलाके में स्थित पूर्व सोवियत संघ के देशों में अस्थिरता बढ़ सकती है। इसी खतरे को देखते हुए अब रूस ने तालिबान और अफगान सरकार के बीच सुलह कराने के लिए मोर्चा संभाला है।
अफगानिस्तान के हालात उसके और क्षेत्र के लिए अच्छे रहें: भारत
इस बीच भारत ने गुरुवार को कहा कि अफगानिस्तान के नजदीकी देशों के इस बात में हित पुरजोर सुरक्षित हैं कि अफगानिस्तान में घटनाक्रम उसके और क्षेत्र के देशों के लिए अच्छे रहें। तालिबान लड़ाकों ने पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान के अनेक जिलों पर कब्जा कर लिया है और समझा जाता है कि 11 सितंबर को अफगानिस्तान से अमेरिका और पश्चिमी देशों के सैनिकों की वापसी से पहले तालिबान का एक तिहाई देश पर नियंत्रण है। रूस की यात्रा पर पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा, ‘अगर कोई आतंकवाद के मुद्दे पर देखे तो भारत और रूस दोनों कट्टरपंथी सोच, हिंसा, चरमपंथ और हिंसक उग्रवाद के खिलाफ हैं।’
तीन दिन के रूस दौरे पर आए जयशंकर ने यहां प्राइमाकोव इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकनॉमी एंड इंटरनैशनल रिलेशन्स में अफगानिस्तान पर पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही। उन्होंने सवाल के जवाब में कहा, ‘हम बहुलवादी समाज हैं। हम निशाना बनाये जाते रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि हमने आतंकवाद, कट्टरपंथी, हिंसा पर और बहुलवादी समाजों को बचाने पर अपने रुख में बदलाव किया है।’ विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस ने एक अविभाजित अफगानिस्तान, संप्रभु अफगानिस्तान का समर्थन किया है जहां अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर भारत का रुख बदला नहीं है। रूस की यात्रा के रास्ते में बुधवार को अपने तेहरान ठहराव को याद करते हुए जयशंकर ने कहा कि उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ से अफगानिस्तान के विषय पर विस्तार से बात की।
रूस में बातचीत के लिए पहुंचे तालिबान नेता
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