आम चुनाव में पश्चिम बंगाल का क़िला बचाने में नाक़ाम रही ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है। दरअसल, चुनाव में हार के बाद टीएमसी नेताओं के साथ बैठक कर ममता ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि बैठक की शुरूआत में ही मैंने कहा था कि मैं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पर बने नहीं रहना चाहती हूं। बता दें कि 2014 में बंगाल में 34 सीटें जीतने वाली टीएमसी इस बार 22 सीटें ही जीत पाई। इस प्रदर्शन के बाद, ममता बनर्जी निराश नज़र आ रही हैं।
दरअसल, कोलकाता में आयोजित प्रेसवार्ता में लोकसभा चुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता ने कहा ‘‘केन्द्रीय बलों ने हमारे ख़िलाफ़ काम किया है। इस दौरान आपातकाल की स्थिति भी उत्पन्न की गई। हिन्दु-मुस्लिम को विभाजित किया गया और वोट भी बंटे। हमने इन सब मुद्दों को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी की, कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
ख़राब प्रदर्शन के बाद, ममता के सामने पार्टी को एक रखने की चुनौती
चुनाव में पार्टी के ख़राब प्रदर्शन का विश्लेषण शुरू हो गया है। ममता के क़िले में सेंध लगाने वाले भाजपा के प्रदर्शन के पीछे मोदी लहर का जादू और पिछले कुछ वर्षों में पंचायत के चुनाव में हुए ख़ून-ख़राबे के अलावा टीएमसी द्वारा अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करना टीएमसी की हार का प्रमुख कारण रहा। बंगाल में भाजपा का जनाधार बढ़ने से तृणमूल कांग्रेस खेमा बंट गया है। स्थानीय नेताओं ने पार्टी के शीर्ष पदों पर काबिज़ लोगों की दूरदर्शिता की कमी और उनके अहंकार भरे रवैये को चुनाव में मिली हार की मुख्य वजह बताया है। अब सीएम ममता बनर्जी के सामने पार्टी को एकजुट रखने की प्रमुख चुनौती है।