Aadivart Museum: आदिवासी संस्कृति और कलाओं का वह ‘गांव’, जहां की खूबसूरती देख आप दौड़े चले आएंगे

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Aadivart Museum: आदिवासी संस्कृति और कलाओं का वह ‘गांव’, जहां की खूबसूरती देख आप दौड़े चले आएंगे

Aadivart Museum: आदिवासी संस्कृति और कलाओं का वह ‘गांव’, जहां की खूबसूरती देख आप दौड़े चले आएंगे


खजुराहो पूरी दुनिया में प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्वविख्यात है। यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है। अब खजुराहो को एक नई पहचान मिली है। आदिवासी संस्कृति और कलाओं को सहेजने के लिए यहां आदिवर्त संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है। आदिवर्त संग्रहालय प्रदेश की जनजातीय और लोक कला का अद्भुत संगम है। पर्यटकों को मध्यप्रदेश के अंचलों, जनजातियों की सभ्यता और संस्कृति से परिचित कराने के लिए इसका निर्माण करवाया गया है।

आदिवासियों का यह सांस्कृतिक गांव

एमपी में कई तरह के जनजाति रहते हैं। इनकी अलग-अलग संस्कृति और सभ्यता है। इसे आदिवर्त संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है। इसके पहले चरण का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सीएम ने इसका लोकार्पण किया है। इस मौके पर उन्होंने लोक संस्कृति को देखा है।

हर जनजाति की सभ्यता को दिखाया गया

हर जनजाति की सभ्यता को दिखाया गया

दरअसल, एमपी में रहने वाले जनजाति समाज के लोग अलग-अलग तरीके से रहते हैं। उनके घर का निर्माण भी अनोखे अंदाज में होता है। आदिवर्त संग्रहालय में प्रदेश के अलग-अलग लोक अंचल और जनजातियों के एक-एक आवासों को निर्मित किया जा रहा है। संग्रहालय का पहला चरण पूर्ण हो चुका है।

अंतर्राष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित हो रहा खजुराहो

अंतर्राष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित हो रहा खजुराहो

खजुराहो में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। ऐसे में राज्य सरकार इसे अंतर्राष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। इसी कड़ी में आदिवर्त संग्रहालय का विस्तार किया जा रहा है। संग्रहालय में बन रहे आवासों में अलग-अलग जनजातीय समुदाय की तरफ से उपयोग की जाने वाली दैनिक जीवन की वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई हैं।

जनजातीय प्रतीकों का निर्माण

जनजातीय प्रतीकों का निर्माण

वहीं, आदिवर्त संग्रहालय के परिसर में जनजातीय और लोक के प्रतीकों को कलात्मक ढंग से संयोजित किया गया है। परिसर में प्रवेश करते ही उनकी सांस्कृतिक झलक आपको देखने को मिलेगी। इसके साथ ही उनके देवी-देवता और पूजा-पाठ की शैली भी देखेंगे। ये सारी चीजें अब धीरे-धीरे विलुप्त हो रही हैं।

खूबसूरती देख नहीं हटेंगी नजरें

खूबसूरती देख नहीं हटेंगी नजरें

अब आदिवर्त संग्रहालय को खूबसूरत तरीके से सजाया जा रहा है। अंदर की खूबसूरती देखकर आपकी नजरें नहीं हटेंगी। आदिवासी कलाकृतियों की खूबसूरती में आधुनिक लाइटें चार चांद लगा रही हैं। संग्रहालय में प्रदेश की लकड़ी, मिट्टी और लोह के शिल्पकारों को एकत्रित कर अपने-अपने जनजातीय रूपाकारों को रचने का कार्य किया गया है।

इन जनजातियों का आवास होगा

इन जनजातियों का आवास होगा

यहां प्रदेश की गोंड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया, सहरिया और कोल के पारंपरिक जनजातीय आवासों का संयोजन किया गया है। इसके साथ यहां पर प्रदेश के पांचों लोकांचल बुंदेलखंड, निमाड़, मालवा, बघेलखंड और चंबल की कला-संस्कृति के पारंपरिक आवासों का भी निर्माण कराया जाएगा।

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