मुगल शासक शाहजहां ने पत्नी मुमताज़ के प्यार में हसीन ताजमहल बनवाया था. ताजमहल उस प्यार की निशानी है जो कभी मरता नहीं बल्कि हमेशा ज़िंदा रहता है. वक़्त के साथ ताजमहल की चाहत और भी अमर होती जा रही है और इसके चाहने वाले दुनियाभर में मौजूद हैं. लेकिन सच्चे प्यार का ताजमहल से मिलता-जुलता एक मामला सामने आया है. मामला इक्कीसवीं सदी का है इसलिए थोड़ा तो अलग है, मगर प्यार उतना ही है. हम यहां बात कर रहे हैं राजू की, जिसने अपनी पत्नी की याद में एक मंदिर बनाया है.
राजू उर्फ राजूस्वामी ने पत्नी की आखिरी ख्वाहिश पूरी करने के लिए एक मंदिर बनवा दिया. यही नहीं उसने इस मंदिर में पत्नी की भी एक मूर्ति रखी है. वो रोज़ाना दूसरे देवी-देवताओं के साथ पत्नी की मूर्ति की भी पूजा करता है.
कर्नाटक के येल्लेंदुर के कृष्णापुर गांव में स्थित इस मंदिर का नाम राजू ने पत्नी राजम्मा के नाम पर रखा है. इस मंदिर में रोज़ाना ढेरों भक्त आते हैं. राजम्मा की मूर्ति खुद राजू ने अपने हाथों से बनाई है. इसके अलावा यहां पर शनिश्वरा, सिद्दपाजी, नव ग्रह और भगवान शिव की भी मूर्ति है.
राजू की प्रेम कहानी में भी कई मुश्किलें थीं. पेशे से किसान राजू के घरवाले उनकी शादी के सख्त खिलाफ थे. लेकिन राजू ने सबका सामना किया और अपने प्यार से शादी का वादा निभाया. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करत हुए राजू ने कहा, ‘मेरे घरवाले हमारी शादी के खिलाफ थे. किसी तरह हमने शादी की. शादी के कुछ दिनों बाद मेरी पत्नी ने कहा कि वो गांव में एक मंदिर बनवाना चाहती है. लेकिन मंदिर बनने से पहले ही उसका निधन हो गया. इसलिए मैंने मंदिर में उसकी मूर्ति रखने का फैसला किया.’
राजू के मुताबिक उसकी पत्नी बहुत धार्मिक महिला थी और उसके पास खास शक्तियां भी थीं. उसने पहले ही अपनी मौत की भविष्यवाणी कर दी थी और हमेशा चाहती थी कि उसकी मौत के बाद ही मंदिर बने. राजू ने कहा, ‘उसने पहले ही अपनी मौत की भविष्यवाणी कर दी थी. उसके पास खास शक्तियां थीं. वो हमेशा मंदिर का सपना देखती थी. वह बहुत ही आध्यात्मिक थी. इन चीज़ों ने मुझे यकीन दिलाया कि मंदिर बनाना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए.’
बहरहाल, हम तो यही कहेंगे कि राजू की पत्नी जहां कहीं भी होंगी अपने पति के इस प्यार को देखकर बहुत खुश होंगी.