रक्त चंदन नाम से ही साफ़ जाहिर हो रहा है की यह खून की तरह लाल रंग का एक अलग जाति का पेड़ है जिसकी लकड़ी लाल होती है लेकिन उसमे सफ़ेद चंदन की तरह कोई महक विधमान नहीं होती। यानि की इसकी लकड़ी से किसी भी प्रकार की गंध नहीं आती है। यह काफी मूल्यवान पेड़ है और यह पेड़ कई तरह की आयुर्वेदिक गुणों से लैस है। लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे की बड़े पैमाने पर इस विशेष पेड़ की चोरी और तस्करी होती है। इतना ही नहीं साल 2002 तक भारत सरकार द्वारा इस पेड़ को लगाने पर पाबंदी लगा दी गई थी।
लेकिन 2002 के बाद इस पेड़ को जमीन पर लगा सकते है। लेकिन इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार के अंतर्गत नहीं आएगी। और साथ ही इस विशेष पेड़ को काटने की इजाजत फारेस्ट डिपार्टमेंटसे ली जायेगी। इतना ही नहीं इसे अपनी मर्जी से बाजार में बेचा भी नहीं जा सकता है। इसे बेचने का अधिकार सिर्फ फारेस्ट विभाग के अंतर्गत आता है। अगर पेड़ को फारेस्ट विभाग द्वारा बेचा जाता है तो उसके पैसे उसके मालिक को दे दिए जायेगे।
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आपको बताना चाहेंगे की लाल चंदन के पेड़ मुख्य तौर पर तमिलनाडु से लगे आंध्र प्रदेश के चार ज़िलों – चित्तूर, कडप्पा, कुरनूल और नेल्लोर – में फैले शेषाचलम के पहाड़ी इलाक़े में उगती है। लगभग पांच लाख वर्ग हेक्टेयर में फैले इस जंगली क्षेत्र में पाए जाने वाले इस अनोखे पेड़ की औसत उंचाई आठ से ग्यारह मीटर होती है और बहुत धीरे-धीरे बढ़ने की वजह से इसकी लकड़ी का घनत्व बहुत ज़्यादा होता है।
आपकी अधिक जानकारी के लिए आपको बता दे की लाल रंग का होने की वजह से इसे रक्त चंदन भी कहते हैं, पूजा-पाठ में इसका प्रयोग काफी बार किया जाता है। रक्त चंदन शैव और शाक्त मत को मानने वाले अधिक प्रयोग करते हैं। आपको बता दे की रक्त चंदन में ऐसे कई गुण होते है , जिससे मानव शरीर को काफी फायदा पहुंचता है। यह कई बीमारियों से निजात दिलाने में कारगर सिद्ध होता है यह उल्टी, बुखार ,कान-नाक से खून बहने की बीमारी खांसी, जन्तुनाशक जैसे दिक्कत से राहत प्रदान करता है।