जाने कैसे फैलता है एड्स, इससे बचने के क्या उपाय है?

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एड्स का पूरा नाम है ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ है और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है. यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता को कमज़ोर कर देता है. एड्स एच.आई.वी. पाजी़टिव गर्भवती महिला से उसके बच्चे को, असुरक्षित यौन संबंध से या संक्रमित रक्तस या संक्रमित सूई के प्रयोग से हो सकता है.

एच.आई.वी. पाजी़टिव होने का अर्थ
एच.आई.वी. पाजी़टिव होने का मतलब है, एड्स वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया है, इसका यह मतलब नहीं होता कि आपको एड्स है. यही नहीं एच.आई.वी. पाजीटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी एड्स हो सकता है.

एक स्वस्थ व्यक्ति अगर एच.आई.वी. पाजीटिव के संपर्क में आता है, तो वह भी संक्रमित हो सकता है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह होती है, कि एक एच.आई.वी. पाजि़टिव को इस बीमारी के पता आप कैसे लगा सकते है.

एच.आई.वी. के लक्षण
कई-कई हफ्तों तक लगातार बुखार रहना, हफ्तों तक खांसी का रहना, अकारण वजन का घटना, मुँह में घाव का होना, भूख खत्म हो जाना, बार-बार दस्त लगना, गले या बगल में सूजन भरी गिल्टियों का हो जाना, त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले दोदरे या चकत्तेश हो जाना, सोते समय पसीना आना इत्यादी.

एड्स से बचाव
एड्स से बचाव के लिए सामान्य व्यक्ति को एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के संपर्क में आने से बचना चाहिए, साथ ही साथ एड्स से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए.

पीड़ित साथी या व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए, अगर कर रहे हों तो सावधानीपूर्वक कंडोम का प्रयोग करना चाहिए, लेकिन कंडोम इस्तेमाल करने में भी कंडोम के फटने का खतरा रहता है. अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें, एक से अधिक व्यक्ति से यौन संबंध ना रखें.

खून को अच्छी तरह से जांचकर ही उसे चढ़ाना चाहिए. कई बार बिना जांच के खून मरीज को चढ़ा दिया जाता है जोकि गलत है. इसलिए डॉक्टर को खून चढ़ाने से पहले पता करना चाहिए कि कहीं खून एच.आई.वी. दूषित तो नहीं है.

उपयोग की हुई सुईओं या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एच.आई.वी. संक्रमित हो सकते हैं.

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दाढ़ी बनवाते समय हमेशा नाई से नया ब्लेड उपयोग करने के लिए कहना चाहिये, एड्स से जुड़ी हुई भ्रांतियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।