शिवसेना मुक्त महाराष्ट्र?

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बीजेपी और शिवसेना का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ने के बाद दोनों एक दूसरे के राजनीतिक रूप से जानी दुश्मन हो गए हैं। दोनों के बीच सीटों को लेकर दरार पड़ गई थी। हालांकि प्रदेश में दोनों की साझा सरकार चल रही है लेकिन शिवसेना मुखर रूप से बराबर बीजेपी का विरोध करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि हो सकता है कि शिवसेना को समझ में आ गया हो कि भाजपा शिवसेना को महाराष्ट्र में खत्म करना चाहती है। ऐसे में शिवसेना पूरी कोशिश कर रही है कि केवल बीजेपी का ही विरोध किया जाए क्योंकि बीजेपी ही है जो हमें भविष्य में सत्ता में आने से रोक सकती है क्योंकि दोनों के मतदाता लगभग एक जैसे हैं अगर उत्तर भारतीयों को छोड़ दिया जाए तो जो शिवसेना को वोट नहीं देते हैं। अब इस नए परिणाम से तो यही लग रहा है कि भाजपा बिना कुछ बोले और विरोध के शिवसेना के पीछे पड़ गई है-

मुंबई से सटे मीरा भायंदर में महानगरपालिका चुनाव के नतीजे सोमवार को आ गए। यहां की कुल 95 सीटों पर बीजेपी को 61 सीटों पर जीत मिली है और शिवसेना को सिर्फ 22 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। वहीं दो सीटें निर्दलीय विधायकों के पास गई हैं। मीरा-भायंदर महानगरपालिका चुनाव में शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन नहीं हुआ था।

रविवार को डाले गए थे वोट 
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस महानगरपालिका चुनाव में पार्टी के लिए जमकर प्रचार-प्रसार किया था। चुनाव से पहले शिवसेना भी एनसीपी के कई बड़े नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने में सफल रही। इन सभी नेताओं ने शिवसेना की ओर से कई रैलियों को संबोधित किया और कई बड़े नेताओं ने पार्टी का प्रचार भी किया। मीरा-भायंदर महानगरपालिका क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी रहते हैं और इन लोगों के वोट हासिल करने के लिए कांग्रेस ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया था। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने इलाके में प्रचार किया था। मीरा भायंदर में रविवार को 47 प्रतिशत मतदान हुआ था और चुनाव आयोग की जानकारी के मुताबिक यहां पर 5,93,345 मतदाता हैं।