2021 में कोसी में बह गए थे घर, मुआवजे को आज भी तरस रहे किसान, जानिए क्या है मामला h3>
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सुपौल के मोरौना प्रखंड अंतर्गत खोकनाहा गांव के मूल निवासी भरत यादव (46) को आज भी मुआवजे का इंतजार है। साल 2021 में बाढ़ में कोसी नदी की तेज धाराओं में उनका घर बह गया था, लेकिन वो अपने परिवार को बचाने में कामयाब रहे। और फिर सामान इकट्ठा कर पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे बस गए। ऐसे ही कुछ कहानी किशनपुर प्रखंड के बौराहा पंचायत के सोनबर्षा गांव के विजय राय और राम प्रवेश राय की भी है। उनको भी बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ना। वो भी आज तक नुकसान की भरपाई का इंतजार कर रहे हैं। पांच गांवों सोनबर्षा, जोभन, खोकनाहा, सुकेला और मारीचा के 1220 निवासी ऐसे हैं, जो बाढ़ में अपने घरों के नुकसान का मुआवजा पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
मुआवजे को तरस रहे ग्रामीण
तत्कालीन डीएम महेंद्र कुमार ने नवंबर 2021 में आपदा प्रबंधन विंग की रिपोर्ट के आधार पर ग्रामीणों के दावे को स्वीकार किया था और आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) से क्षतिपूर्ति के लिए 50.02 लाख का आवंटन मांगा था। लेकिन बाद में नौकरशाही फेरबदल हो गया। कौशल किशोर को जनवरी 2022 में नए डीएम के रूप में नियुक्त किया गया, जिन्होने ग्रामीणों की कठिनाइयों को और जटिल बना दिया था। उन्होंने न केवल उनके ‘वैध’ दावों को खारिज कर दिया, बल्कि पटना उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे में इस बात से भी इनकार किया कि जिले के कई इलाके 2021 में बाढ़ से तबाह हो गए थे।
जिले बाढ़ आई नहीं थी- एसडीएम
सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र यादव, जो संकटग्रस्त ग्रामीणों को मुआवजे के भुगतान के लिए एक अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होने बताया कि मई 2022 में पटना उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी, जब जिला अधिकारियों ने ग्रामीणों के दावों पर विचार करने से इनकार कर दिया था। वहीं अतिरिक्त एसडीएम अनंत कुमार द्वारा एक हलफनामा दायर करने के बाद ग्रामीणों की न्याय की उम्मीद और दूर हो गई, जिसमें दावा किया गया कि जिले में बाढ़ ही नहीं आई थी।
डीएमडी रिपोर्ट में बाढ़ से नुकसान का जिक्र
पटना उच्च न्यायालय ने नवंबर 2022 में मामले का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ताओं को वैध दस्तावेजों के साथ डीएमडी के समक्ष अपील करने को कहा था। सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र यादव ने कहा कि डीएमडी ने अतिरिक्त एसडीएम के हलफनामे का हवाला देते हुए ग्रामीणों के दावे को खारिज करना जारी रखा, जबकि अपने स्वयं के रिकॉर्ड और मुआवजे के लिए तत्कालीन डीएम की मांग से आंखें मूंद लीं। 2021 की बाढ़ के मद्देनजर डीएमडी द्वारा जारी अंतिम बाढ़ रिपोर्ट में भी माना गया है कि सुपौल के पांच प्रखंडों के 17 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए थे। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जिले में कोसी की तेज धारा के कारण 1220 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे।
फिर कोर्ट में शरण में ग्रामीण
चूंकि डीएमडी लगातार इनकार की स्थिति में है, इसलिए पीड़ित ग्रामीण फिर से न्याय पाने के लिए एक और रिट दायर करने पर विचार कर रहे हैं।अतिरिक्त मुख्य सचिव, डीएमडी, प्रत्यय अमृत से उनके मोबाइल नंबर पर बार-बार फोन करने और संदेश भेजने के बावजूद संपर्क नहीं हो सका। वहीं विभाग के ओएसडी भी इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
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सुपौल के मोरौना प्रखंड अंतर्गत खोकनाहा गांव के मूल निवासी भरत यादव (46) को आज भी मुआवजे का इंतजार है। साल 2021 में बाढ़ में कोसी नदी की तेज धाराओं में उनका घर बह गया था, लेकिन वो अपने परिवार को बचाने में कामयाब रहे। और फिर सामान इकट्ठा कर पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे बस गए। ऐसे ही कुछ कहानी किशनपुर प्रखंड के बौराहा पंचायत के सोनबर्षा गांव के विजय राय और राम प्रवेश राय की भी है। उनको भी बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ना। वो भी आज तक नुकसान की भरपाई का इंतजार कर रहे हैं। पांच गांवों सोनबर्षा, जोभन, खोकनाहा, सुकेला और मारीचा के 1220 निवासी ऐसे हैं, जो बाढ़ में अपने घरों के नुकसान का मुआवजा पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
मुआवजे को तरस रहे ग्रामीण
तत्कालीन डीएम महेंद्र कुमार ने नवंबर 2021 में आपदा प्रबंधन विंग की रिपोर्ट के आधार पर ग्रामीणों के दावे को स्वीकार किया था और आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) से क्षतिपूर्ति के लिए 50.02 लाख का आवंटन मांगा था। लेकिन बाद में नौकरशाही फेरबदल हो गया। कौशल किशोर को जनवरी 2022 में नए डीएम के रूप में नियुक्त किया गया, जिन्होने ग्रामीणों की कठिनाइयों को और जटिल बना दिया था। उन्होंने न केवल उनके ‘वैध’ दावों को खारिज कर दिया, बल्कि पटना उच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे में इस बात से भी इनकार किया कि जिले के कई इलाके 2021 में बाढ़ से तबाह हो गए थे।
जिले बाढ़ आई नहीं थी- एसडीएम
सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र यादव, जो संकटग्रस्त ग्रामीणों को मुआवजे के भुगतान के लिए एक अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होने बताया कि मई 2022 में पटना उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी, जब जिला अधिकारियों ने ग्रामीणों के दावों पर विचार करने से इनकार कर दिया था। वहीं अतिरिक्त एसडीएम अनंत कुमार द्वारा एक हलफनामा दायर करने के बाद ग्रामीणों की न्याय की उम्मीद और दूर हो गई, जिसमें दावा किया गया कि जिले में बाढ़ ही नहीं आई थी।
डीएमडी रिपोर्ट में बाढ़ से नुकसान का जिक्र
पटना उच्च न्यायालय ने नवंबर 2022 में मामले का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ताओं को वैध दस्तावेजों के साथ डीएमडी के समक्ष अपील करने को कहा था। सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र यादव ने कहा कि डीएमडी ने अतिरिक्त एसडीएम के हलफनामे का हवाला देते हुए ग्रामीणों के दावे को खारिज करना जारी रखा, जबकि अपने स्वयं के रिकॉर्ड और मुआवजे के लिए तत्कालीन डीएम की मांग से आंखें मूंद लीं। 2021 की बाढ़ के मद्देनजर डीएमडी द्वारा जारी अंतिम बाढ़ रिपोर्ट में भी माना गया है कि सुपौल के पांच प्रखंडों के 17 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए थे। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जिले में कोसी की तेज धारा के कारण 1220 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे।
फिर कोर्ट में शरण में ग्रामीण
चूंकि डीएमडी लगातार इनकार की स्थिति में है, इसलिए पीड़ित ग्रामीण फिर से न्याय पाने के लिए एक और रिट दायर करने पर विचार कर रहे हैं।अतिरिक्त मुख्य सचिव, डीएमडी, प्रत्यय अमृत से उनके मोबाइल नंबर पर बार-बार फोन करने और संदेश भेजने के बावजूद संपर्क नहीं हो सका। वहीं विभाग के ओएसडी भी इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।