लालू परिवार की ओर से न्यौता नहीं मिलने से नाराज हैं नीतीश कुमार?

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लालू परिवार की ओर से न्यौता नहीं मिलने से नाराज हैं नीतीश कुमार?

लालू परिवार की ओर से न्यौता नहीं मिलने से नाराज हैं नीतीश कुमार?


ओमप्रकाश अश्क, पटना: बिहार में राजनीति में न्यौते का खासा महत्व रहा है। सीधे तौर पर कहा जाये तो न्यौते की राजनीति की परंपरा बिहार में काफी पुरानी है। न्यौते पर सरकार बनती-बिगड़ती रही है। बिहार में न्यौते की राजनीति की चर्चा जब भी होगी तो नीतीश कुमार को कभी भुलाया नहीं जाएगा। इसलिए कि कभी लालू के घर इफ्तार का न्यौता नीतीश ने कबूल किया तो एनडीए की सरकार महागठबंधन की सरकार में तब्दील हो गयी। नीतीश ने नरेंद्र मोदी को खाने का न्यौता दिया और ऐन वक्त पर भोज रद्द कर दिया। और तो और, हाल ही बीजेपी एमएलसी और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मयूख का न्यौता कबूल कर नीतीश कुमार और उनके कई मंत्री जब वहां पहुंचे तो बिहार की सियासत गरमा गयी। किसी को महागठबंधन की सरकार टूटती नजर आने लगी तो फिर नीतीश कुमार के पाला बदल प्रकरणों की याद दिलाने लगा। बिहार की सियासत में फिर एक बार न्यौते की राजनीति चर्चा में हैं।

क्या है न्यौते पर नीतीश और लालू का मामला

बिहार के डेप्युटी सीएम और आरजेडी के शीर्ष्थ नेता तेजस्वी यादव के घर लक्ष्मी आयी है। लालू परिवार के लिए यह बेहद खुशी का मौका है। बेहद खुशी की बात इसलिए कि लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप की जब शादी हुई तो डाक्टर की मनाही के बावजूद लालू ने समधी के घर मछली-भात का आनंद लिया था। दुर्भाग्य से तेज प्रताप का विवाह विवादों में फंस गया। अब तेजस्वी ने लालू की पोता देखने की साध पूरी कर दी है। बहरहाल, लोगों को इस बात पर आश्चर्य है कि अपने डिप्टी सीएम के घर जाकर नीतीश कुमार ने बधाई नहीं दी। नीतीश ने इस पर सफाई दी कि लालू परिवार से उन्हें न्यौता ही नहीं मिला है। जब न्यौता मिलगा तो जरूर जाएंगे।

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राबड़ी के इफ्तार के न्यौते से बदला था नीतीश का मन

सबको यह पता है कि अभी अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार है तो इसकी बुनियाद राबड़ी देवी के आवास पर पड़ी थी। राबड़ी देवी ने रमजान के महीने में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इसका न्यौता उन्होंने एनडीए की सरकार चला रहे नीतीश कुमार को भी भेजा। लालू परिवार की आलोचना कर सीएम की कुर्सी तक पहंचने वाले नीतीश कुमार अचानक राबड़ी देवी के आवास पहुंच गये। प्रोटोकाल का ख्याल किये बगैर नीतीश ने राबड़ी के आवास तक की यात्रा पैदल ही की। उसके बाद ही जेडीयू-आरजेडी की केमेस्ट्री बनी और सितंबर 2022 में नीतीश ने पाला बदल लिया। एनडीए को छोड़ वे महागठबंधन में आ गये। एनडीए की जगह महागठबंधन की सरकार नीतीश के नेतृत्व में बन गयी।

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मोदी को न्योता देकर नीतीश ने भोज रद्द किया था

साल 2010 लोगों को याद होगा। नीतीश कुमार बीजेपी के साथ बिहार में सरकार चला रहे थे। नरेंद्र मोदी बिहार आए थे। पटना में भाजपा कार्यकारिणी की बैठक थी। बीजेपी और जेडीयू साथ थे, इसलिए मुख्यमंत्री के नाते नीतीश ने पूरी कार्यकारिणी को रात्रि भोज का न्यौता दिया। भोज में नरेंद्र मोदी को भी शामिल होना था। तब वे गुजरात के सीएम थे। गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका से नीतीश खफा थे। नीतीश ने उनके सम्मान में रात्रि भोज का न्यौता अचानक रद्द कर दिया। वह भी ऐन वक्त पर भोज रद्द किया गया। बीजेपी से नीतीश की खटास की नींव उसी वक्त से पड़ गयी थी, जो 2013 में मुखर होकर दिखी। बीजेपी ने जब गोवा की बैठक में नरेंद्र मोदी को पीएम फेस घोषित किया तो नीतीश हत्थे से उखड़ गये और बीजेपी से किनारा कर लिया था।

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