एमपी में गुजरात की तरह सीएम नहीं बदलेगी बीजेपी, जानें क्यों
हर राज्य में अलग-अलग राजनीतिक समीकरण होते हैं, गुजरात में जिस फॉर्म्युले का प्रयोग किया गया है, वह मध्यप्रदेश में लागू नहीं हो सकता है। यहां चार टर्म से बीजेपी लगातार शासन कर रही है। एक बीजेपी के सीनियर पदाधिकारी ने कहा कि चार टर्म से लगातार सत्ता में होने की वजह से कुछ मुद्दे हो सकते हैं लेकिन यह बीजेपी के वोट पर असर नहीं डालेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रदेश में अबकी बार 200 के पार नारे के साथ उतरेगी। बीजेपी पदाधिकारी ने कहा कि एमपी में 2018 की तुलना में पार्टी बेहतर स्थिति में हैं। अब विकास और कल्याणकारी पहल जमीनी स्तर पर पहुंच गई है। खासकर कृषि के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है।
राज्य भार में सड़कों का निर्माण हुआ है। एंटी इंकंबेंसी के संभावित नतीजों को भांपते हुए हम अभी से बूथ पर पहुंचने लगे हैं। बूथ स्तर पर जाकर हम मतदाताओं तक तेजी से पहुंच रहे हैं। पार्टी ने चुनाव कार्य योजना का मसौदा तैयार कर लिया है। 65000 बूथों पर अपने कार्यकर्ताओं को तैनात किया है, जिसकी विभिन्न स्तरों पर समीक्षा की जाएगी ताकि राज्य के चुनावों में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए अंतिम कार्य योजना तैयार की जा सके।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि बूथ विस्तार अभियान के तहत हर बूथ समिति को संबंधित क्षेत्रों की मतदाता सूची सौंपी जा रही है। इसमें पिछले चार चुनावों का डेटा है। बीजेपी को वोट नहीं देने वालों के साथ-साथ नहीं देने वाले लोगों के नाम भी होंगे। इसके साथ ही उस बूथ पर सरकार योजनाओं के लाभार्थियों की भी सूची होगी। लाभार्थियों से बात की जाएगी कि उनमें जीवन इन योजनाओं से कैसे बदलाव आया है।
पार्टी के पदाधिकारी ने कहा कि बीजेपी की तरफ से अब तक किया गया यह सबसे बड़ा सूक्ष्म स्तर का बूथ प्रबंधन हैं। बीजेपी पदाधिकारी ने कहा कि स्पष्ट रूप से 2018 की तुलना में पार्टी की रणनीति में बदलाव आया है। उस समय पार्टी चुनाव हार गई थी क्योंकि 230 सीटों वाले विधानसभा में हम 107 सीट ही जीत पाए थे। उस समय कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई थी। उन्होंने कहा कि 2018 में हमारी संभावनाओं के बारे में एक गलत अनुमान था। इस बार हम आत्मसंतुष्ट नहीं हैं और अभी भी सुधार के विकल्प तलाश रहे हैं।
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