हड़ताल का असर: स्ट्रेचर नहीं मिला तो मरीज को कंधे पर बैठाकर ले गए परिजन | Doctors strike in Bhopal | Patrika News h3>
कई मरीजों ने पर्चा बनवा लिया, लेकिन ओपीडी में डॉक्टर नहीं
सुबह सात बजे से ही मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए थे, कुछ ने पंजीकरण केंद्र पर जाकर पर्चे भी बनवा लिए थे। मगर ओपीडी में डॉक्टर नहीं थे और जूडा को दवा लिखने का अधिकार नहीं रहता। ऐसे में मरीज बिना इलाज कराए ही वापस लौट गए। भोपाल की उमा बाई, विदिशा के अर्जुन समेत कई मरीजों को इस स्थिति का सामना करना पड़ा। बता दें कि हमीदिया में सोमवार को 1900 से अधिक मरीज ओपीडी में पहुंचे थे। वहीं मंगलवार को इनकी संख्या सिर्फ 670 रही।
दर्द से तड़प रहे बुजुर्ग
हड्डी रोग विभाग में भर्ती गंभीर रूप से घायल 79 साल के पवन जैन दर्द से तड़प रहे थे। पिता को परेशान देख बेटा इलाज की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। मंगलवार को उनके कूल्हे का ऑपरेशन होना था, लेकिन हड़ताल के चलते टल गया।
हमें सीएम और मंत्री की तरफ से संदेश मिल गया है
मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि कैबिनेट निरस्त हो गई है और हमने भी अपनी हड़ताल रद्द कर दी है। साथ ही मुख्यमंत्री व चिकित्सा शिक्षा मंत्री की ओर से इस प्रस्ताव को खारिज करने का संदेश भी प्राप्त हुआ है। संदेश में साफ कहा गया है कि अब यह प्रस्ताव अगली कैबिनेट में नहीं लाया जाएगा।
हड़ताल के दौरान जूडा ने भी दी चेतावनी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन के लिए ब्यूरोक्रेट्स की तैनाती का विरोध मेडिकल टीचर्स के समर्थन में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी पत्र जारी किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हृदेश दीक्षित ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर प्रस्ताव को खारिज कराने की मांग की। साथ ही जूडा ने चेतावनी दी, अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो प्रदेश का समस्त जुडा रूटीन व इमरजेंसी कार्य का बहिष्कार कर देंगे।
सुरक्षा गार्डों की गुंडागर्दी आई सामने, फोटो खींच रहे लोगों के मोबाइल तक छीने सुबह ऑटो रिक्शा वाला एक मरीज को लेकर इमरजेंसी में जा रहा था। गेट पर खड़े सुरक्षा गार्डों ने ऑटो रोक लिया और उसे आगे जाने नहीं दिया। परिजनों व गार्डों के बीच झड़प भी हुई। कुछ लोगों ने इसका वीडियो बनाया तो गाडोZं ने उनसे मोबाइल तक छीन लिए। मजबूरन परिजन मरीज को कंधे पर ही इमरजेंसी वार्ड लेकर गए। वहीं हड़ताल के एक दिन पहले विभागीय आला अधिकारियों ने अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया को डॉक्टरों से बात कर हड़ताल खत्म कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी। बताया जा रहा है कि डॉ गोहिया ने इस मुद्दे पर बात भी की लेकिन डॉक्टर्स नहीं माने। ऐसे में अधीक्षक अस्पताल की व्यवस्थाएं संभालने की जगह सोमवार शाम अचानक छुट्टी पर चले गए।
पहले दो बार हो चुका है विरोध बता दें पहले दिसंबर-जनवरी में भी इस तरह का प्रस्ताव लाने का प्रयास हुआ था। जिसको मेडिकल कॉलेजों में विरोध के बाद टाल दिया गया था। इसके बाद शहडोल मेडिकल कॉलेज में कलेक्टर को मेडिकल कॉलेज में प्रभार दिया गया था। जिसके विरोध में डॉक्टरों ने बड़े प्रदर्शन किए थे। इसके बाद यह फैसला भी वापस लेना पड़ा था।
कई मरीजों ने पर्चा बनवा लिया, लेकिन ओपीडी में डॉक्टर नहीं
सुबह सात बजे से ही मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए थे, कुछ ने पंजीकरण केंद्र पर जाकर पर्चे भी बनवा लिए थे। मगर ओपीडी में डॉक्टर नहीं थे और जूडा को दवा लिखने का अधिकार नहीं रहता। ऐसे में मरीज बिना इलाज कराए ही वापस लौट गए। भोपाल की उमा बाई, विदिशा के अर्जुन समेत कई मरीजों को इस स्थिति का सामना करना पड़ा। बता दें कि हमीदिया में सोमवार को 1900 से अधिक मरीज ओपीडी में पहुंचे थे। वहीं मंगलवार को इनकी संख्या सिर्फ 670 रही।
दर्द से तड़प रहे बुजुर्ग
हड्डी रोग विभाग में भर्ती गंभीर रूप से घायल 79 साल के पवन जैन दर्द से तड़प रहे थे। पिता को परेशान देख बेटा इलाज की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। मंगलवार को उनके कूल्हे का ऑपरेशन होना था, लेकिन हड़ताल के चलते टल गया।
हमें सीएम और मंत्री की तरफ से संदेश मिल गया है
मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि कैबिनेट निरस्त हो गई है और हमने भी अपनी हड़ताल रद्द कर दी है। साथ ही मुख्यमंत्री व चिकित्सा शिक्षा मंत्री की ओर से इस प्रस्ताव को खारिज करने का संदेश भी प्राप्त हुआ है। संदेश में साफ कहा गया है कि अब यह प्रस्ताव अगली कैबिनेट में नहीं लाया जाएगा।
हड़ताल के दौरान जूडा ने भी दी चेतावनी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन के लिए ब्यूरोक्रेट्स की तैनाती का विरोध मेडिकल टीचर्स के समर्थन में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी पत्र जारी किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हृदेश दीक्षित ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर प्रस्ताव को खारिज कराने की मांग की। साथ ही जूडा ने चेतावनी दी, अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो प्रदेश का समस्त जुडा रूटीन व इमरजेंसी कार्य का बहिष्कार कर देंगे।
सुरक्षा गार्डों की गुंडागर्दी आई सामने, फोटो खींच रहे लोगों के मोबाइल तक छीने सुबह ऑटो रिक्शा वाला एक मरीज को लेकर इमरजेंसी में जा रहा था। गेट पर खड़े सुरक्षा गार्डों ने ऑटो रोक लिया और उसे आगे जाने नहीं दिया। परिजनों व गार्डों के बीच झड़प भी हुई। कुछ लोगों ने इसका वीडियो बनाया तो गाडोZं ने उनसे मोबाइल तक छीन लिए। मजबूरन परिजन मरीज को कंधे पर ही इमरजेंसी वार्ड लेकर गए। वहीं हड़ताल के एक दिन पहले विभागीय आला अधिकारियों ने अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया को डॉक्टरों से बात कर हड़ताल खत्म कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी। बताया जा रहा है कि डॉ गोहिया ने इस मुद्दे पर बात भी की लेकिन डॉक्टर्स नहीं माने। ऐसे में अधीक्षक अस्पताल की व्यवस्थाएं संभालने की जगह सोमवार शाम अचानक छुट्टी पर चले गए।
पहले दो बार हो चुका है विरोध बता दें पहले दिसंबर-जनवरी में भी इस तरह का प्रस्ताव लाने का प्रयास हुआ था। जिसको मेडिकल कॉलेजों में विरोध के बाद टाल दिया गया था। इसके बाद शहडोल मेडिकल कॉलेज में कलेक्टर को मेडिकल कॉलेज में प्रभार दिया गया था। जिसके विरोध में डॉक्टरों ने बड़े प्रदर्शन किए थे। इसके बाद यह फैसला भी वापस लेना पड़ा था।