पक्षी और माइग्रेटरी बर्ड्स अपना रास्ता कैसे खोजते है जानिये | How do migratory birds find their way | Patrika News

268
पक्षी और माइग्रेटरी बर्ड्स अपना रास्ता कैसे खोजते है जानिये | How do migratory birds find their way | Patrika News

पक्षी और माइग्रेटरी बर्ड्स अपना रास्ता कैसे खोजते है जानिये | How do migratory birds find their way | Patrika News

सर्दियों के मौसम में माइग्रेटरी बर्ड्स भारत क्यों आते हैं?
प्रवासी पक्षियों का मुख्य कारण यह है कि वे भोजन की तलाश में भारत जैसे गर्म देशों में आते हैं क्योंकि उनके देश में उन्हें कभी-कभी हर जगह जमी बर्फ के कारण भोजन नहीं मिलता है। प्रवासी पक्षियों का भोजन कीड़े-मकोड़े, वनस्पतियां या जीव-जंतु भी खाते हैं, वे बर्फीले मौसम में नहीं दिखते क्योंकि वे जमीन में दुबक कर रहते हैं।

भारत सर्दियों के मौसम में यूरेशियन टील या कॉमन टील, रोज़ी पेलिकन, एशियाई कोयल, फ्लेमिंगो, अमूर फाल्कन, नॉर्दर्न शोलर, गडवाल बर्ड, कॉम्ब डक और ब्लैक टेल्ड गॉडविट आदि जैसे प्रवासी पक्षियों का घर बन जाता है। जिस में करीब 25 प्रजातियों शामिल है।

भारत जैसे देशों में जब उन्हें सर्दी के मौसम में आना होता है तो बारिश का मौसम खत्म हुआ ही होता है। यहां नदियां और जलाशय भरे हुए होते हैं। बर्फ नहीं जमती और हर तरफ सिर्फ हरियाली ही हरियाली होती है। इस हरियाली के बीच उनके पास खाने की कोई कमी नहीं होती है इस कारण से वो सभी भारत आते है।

माइग्रेटरी बर्ड्स का क्या मतलब है
माइग्रेटरी बर्ड्स वे पक्षी हैं जो मौसम के अनुसार एक स्थान (देश, महाद्वीप) से दूसरे स्थान (देश, महाद्वीप) में जाते हैं। माइग्रेटरी बर्ड्स एक स्थान से दूसरे स्थान तक लंबी दूरी तय करते हैं। इसे पक्षियों की यात्रा के रूप में भी जाना जाता है ।

यात्रा के दौरान पक्षी रेगिस्तान, समुद्र को पार करते हैं। हर साल ये ठंडे इलाकों से भारत आते हैं। पक्षी हमेशा झुंड में आते हैं और चले जाते हैं। ये पक्षी हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा करते हैं। पक्षियों के पलायन का मुख्य कारण सर्दी से बचना है। सर्दियों के मौसम में, पक्षी गर्म क्षेत्रों की ओर चले जाते हैं।

इन पक्षियों की गति जितनी तेज होती है, इनका मस्तिष्क भी उतना ही तेज होता है। यात्रा किस समय शुरू करनी है, कहाँ जाना है सब कुछ याद रहता है। इसके लिए वे सूर्य की दिशा और तारों, पहाड़ों, नदियों, जंगलों, झीलों आदि की स्थिति का भी सहारा लेते हैं।

इन पक्षियों की उड़ने की क्षमता अद्भुत होती है। कुछ तेजी से उड़ते हैं, कुछ बिना रुके लगातार उड़ सकते हैं। सभी पक्षियों में अलग-अलग गुण पाए जाते हैं। स्वीडिश पेरेग्रीन फॉल्कॉन नामक पक्षी की दो विशेषताएं हैं। यह नन्ही-सी दिखने वाला पक्षी कुछ ही हफ्तों में 80,500 किमी की उड़ान भर सकता है। और जब शिकार को पकड़ना होता है तो उसकी गति 322 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती है।

photo_6192685947515154941_x.jpg

2019 में राजस्थान की सबसे बड़ी सांभर झील में बारिश का पानी भर जाने के कारण नवंबर में 3 लाख से अधिक विदेशी पक्षी आए थे। यहां आने वाले देशी-विदेशी पक्षियों में लेजर फ्लेमिंगो की संख्या सबसे ज्यादा थी। जो 50 हजार से ज्यादा था।

सर्दियों के मौसम में साइबेरियाई सारस भारत आते है। 50 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से यह पक्षी करीब 500 किलोमीटर की यात्रा तय करते है। पिछले कुछ वर्षों में उनके आने में कमी बताई गई है।राजस्थान के अजमेर जिले की ऐतिहासिक आनासागर झील प्रवासी पक्षियों का डेरा बन जाती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर स्थित उंडवा गांव के तालाब पर प्रवासी पक्षी बसते हैं।



राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News