CDR Case: पुलिस ने नोएडा में की छापेमारी, लोगों की कॉल डीटेल निकालने वाले जासूस हुए अंडरग्राउंड h3>
विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: आउटर नॉर्थ जिले की एएटीएस के शिकंजे में फंसे जासूस की करतूत से अब बाकी डिटेक्टिव एजेंसियां पुलिस के रेडार पर हैं। पुलिस अफसर को अंदेशा है कि सीडीआर निकलवाने में किसी न किसी पुलिसकर्मी की मिलीभगत हो सकती है। इस केस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि टीम ने नोएडा स्थित उस डिटेक्टिव एजेंसी के दफ्तर पर छापेमारी की है। एजेंसी चलाने वालों से पूछताछ की है। कई जासूस अंडरग्राउंड हो गए। हालांकि पुलिस ने अभी तक सीडीआर से जुड़े मास्टरमाइंड पर एक्शन नहीं लिया है। पुलिस ने मास्टरमाइंड माने जाने वाले संदिग्धों से मंगलवार को कई घंटे पूछताछ की। बाद में क्यों छोड़ दिया गया। इस बारे में पुलिस की तरफ से कोई जानकारी साझा नहीं की गई।
डीसीपी बोले जांच जारी है
आउटर नॉर्थ डीसीपी बृजेंद्र कुमार यादव के मुताबिक, 7 अगस्त को कार्रवाई की। पवन नोएडा स्थित जिस डिटेक्टिव एजेंसी में काम करता है, वहां फील्ड बॉय है। यह अपने साथी के साथ मिलकर अवैध तरीके इस काम को अंजाम दे रहा था। पवन काफी समय से इस तरह से काम कर रहा है। यह जिला सिवान, बिहार का रहने वाला है। 12वीं तक पढ़ा हुआ है। कंप्यूटर की नॉलेज रखता है। केस में डॉक्यूमेंट सीज किए हैं। जांच जारी है।
सभी एजेंसी नहीं करती गैरकानूनी काम
वहीं, डिटेक्टिव ऐसोसिएशन के चेयरमैन संजीव देशवाल के मुताबिक, प्राइवेट डिटेक्टिव का काम किसी संदेहास्पद व्यक्ति के ऊपर नजर रखना, उनको ट्रैप करना और ग्राउंड इंटेलिजेंस से सूचना हासिल करना होता है। सभी प्राइवेट डिटेक्टिव कंपनियां गैर कानूनी तरीके से काम नहीं करतीं।
कई जमानत पर, नहीं मिली सजा
पुलिस के एक अफसर ने कहा, पिछले 15 साल में 20 डिटेक्टिव और कई पुलिसकर्मी की सांठगांठ का खुलासा हो चुका। ये गिरफ्तार हुए। केस दिल्ली सेशन कोर्ट में चल रहे हैं। कुछ केस साक्ष्य कमजोर की वजह से खारिज हो चुके हैं। लेकिन कभी किसी को सजा नहीं हुई। केस कोर्ट में चल रहा है। इनमें अधिकतर जमानत पर हैं।
साक्ष्य के साथ पुलिस में दर्ज कराएं केस
क्राइम होने के बाद ही पता चलता है। पुलिस भी तभी एक्टिव हो पाती है। किसी की सीडीआर निकाली गई है, यह यूजर को मालूम नहीं चल सकता। जब तक किसी की मोबाइल डिटेल या कोई पर्सनल डॉक्यूमेंट लीक नहीं होते। अगर किसी को पता चलता है कि उसके मोबाइल की गैरकानूनी तरीके से सीडीआर निकाली गई है तो लोकल पुलिस या साइबर सेल में साक्ष्यों के साथ केस दर्ज करा सकता है।
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आउटर नॉर्थ डीसीपी बृजेंद्र कुमार यादव के मुताबिक, 7 अगस्त को कार्रवाई की। पवन नोएडा स्थित जिस डिटेक्टिव एजेंसी में काम करता है, वहां फील्ड बॉय है। यह अपने साथी के साथ मिलकर अवैध तरीके इस काम को अंजाम दे रहा था। पवन काफी समय से इस तरह से काम कर रहा है। यह जिला सिवान, बिहार का रहने वाला है। 12वीं तक पढ़ा हुआ है। कंप्यूटर की नॉलेज रखता है। केस में डॉक्यूमेंट सीज किए हैं। जांच जारी है।
सभी एजेंसी नहीं करती गैरकानूनी काम
वहीं, डिटेक्टिव ऐसोसिएशन के चेयरमैन संजीव देशवाल के मुताबिक, प्राइवेट डिटेक्टिव का काम किसी संदेहास्पद व्यक्ति के ऊपर नजर रखना, उनको ट्रैप करना और ग्राउंड इंटेलिजेंस से सूचना हासिल करना होता है। सभी प्राइवेट डिटेक्टिव कंपनियां गैर कानूनी तरीके से काम नहीं करतीं।
कई जमानत पर, नहीं मिली सजा
पुलिस के एक अफसर ने कहा, पिछले 15 साल में 20 डिटेक्टिव और कई पुलिसकर्मी की सांठगांठ का खुलासा हो चुका। ये गिरफ्तार हुए। केस दिल्ली सेशन कोर्ट में चल रहे हैं। कुछ केस साक्ष्य कमजोर की वजह से खारिज हो चुके हैं। लेकिन कभी किसी को सजा नहीं हुई। केस कोर्ट में चल रहा है। इनमें अधिकतर जमानत पर हैं।
साक्ष्य के साथ पुलिस में दर्ज कराएं केस
क्राइम होने के बाद ही पता चलता है। पुलिस भी तभी एक्टिव हो पाती है। किसी की सीडीआर निकाली गई है, यह यूजर को मालूम नहीं चल सकता। जब तक किसी की मोबाइल डिटेल या कोई पर्सनल डॉक्यूमेंट लीक नहीं होते। अगर किसी को पता चलता है कि उसके मोबाइल की गैरकानूनी तरीके से सीडीआर निकाली गई है तो लोकल पुलिस या साइबर सेल में साक्ष्यों के साथ केस दर्ज करा सकता है।