शिवजी को प्रसन्न करने के लिए अर्पित कर रहे गंगा जल, दूध, धतूरा | savan me shivji ki aaradhna in Jabalpur | Patrika News h3>
शिवालयों में भक्तों की भीड़: किए जा रहे विशेष अनुष्ठान व रुद्राभिषेक
जबलपुर। सावन में शहर के शिवालयों में श्रद्धा का ज्वार उमड़ रहा है। मंगलवार को भी सुबह से ही शिव मंदिरों में पूजा के लिए भक्त जुटे। शिवालयों में बम भोले के जयकारे गूंजते रहे। गुप्तेश्वर भोलेनाथ का मंगलवार को मनमोहक चन्द्रमौलीश्वर शृंगार किया गया। इसके दर्शन के लिए भक्त उमड़े।
शहर के प्रसिद्ध कचनार सिटी के शिव मंदिर में सुबह से ही जल ढारने भक्तों की भीड़ लगी। लोग भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अभिषेक करने को आतुर दिखे। देवताल, पचमठा, पाट बाबा, गुप्तेश्वर सहित अन्य शिवालयों में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष हाथों में जलपात्र लिए भगवान शिव का अभिषेक करने पहुंचे। भक्तों ने शिव की पूजा-अर्चना कर खुशहाली की कामना की। भक्तों ने गंगा जल, दूध, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि से भोलेनाथ का पूजन कर शिवङ्क्षलग का जलाभिषेक किया। इस दौरान शिवालय हर हर बम बम, जय शिव शंकर, ओम नम: शिवाय के पंचाक्षरी मंत्र के साथ घंटे की आवाज से गूंज उठे।
संस्कारधानी की पहचान बने 76 फिट के भोलेनाथ, 16 साल में हुए विख्यात
संस्कारधानी के शिवालयों की अद्भुत, निराली और ऐतिहासिक गाथाएं हैं। यहां जिस शिवालय के दर्शन के लिए सबसे अधिक लोग उमड़ते हैं, उसकी कहानी महज 16 वर्ष पुरानी है। 2005-06 में बने इस मंदिर में विराजित 76 फिट ऊंची शिवजी की चित्ताकर्षक प्रतिमा की ख्याति देश भर में फैल चुकी हैं।
यह प्रतिमा अब संस्कारधानी की एक पहचान बन गई है। सावन के महीने में तो यहां भक्तों का मेला सा लगा रहता है।
गर्भगृह में हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग-
इस अद्भुत प्रतिमा को बनवाने वाले कचनार बिल्डर्स के अरुण तिवारी बताते हैं कि प्रतिमा के अंदर गुफा में 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना भी की गई है। प्रतिमा के निचले हिस्से में बनी गुफा में देश के विभिन्न राज्यों में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। कचनार सिटी मंदिर का गेट भी काफी आकर्षक है। छह एकड़ के परिसर में कई अन्य प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।
बेंगलूरु से आया विचार- 1996 में बेंगलूरु में 41 फीट के भोले की प्रतिमा देख कर अरुण के मन में विचार आया कि जबलपुर में वे इससे बड़ी शिव प्रतिमा स्थापित करेंगे। उन्होंने 2000 में कचनार सिटी बसाने का प्लान बनाते समय छह एकड़ जगह शिव की मूर्ति के लिए रिजर्व रखी। 2002 में उन्होंने काम की शुरुआत की और 2005-06 में मूर्ति की स्थापना की गई। इसे के. श्रीधर नाम के शिल्पी ने बनाया है, जो बैंगलुरू से तीन सौ किलोमीटर दूर शिमोगा जिले में रहते हैं।
शिव परिवार भी विराजमान- मंदिर के पुजारी सुरेन्द्र दुबे ने बताया कि मंदिर में एक अन्य गर्भगृह भी है, जहां आत्मङ्क्षलगेश्वर भोलेनाथ व उनके पूरे परिवार की प्रतिमाएं हैं। उन्होंने बताया कि हर सोमवार को महाआरती व सावन के महीने में प्रतिदिन यहां रुद्राभिषेक किया जाता है।